हिमाचल प्रदेश महिला विकास निगम के निदेशक मंडल ने शिक्षा ऋण की सीमा को मौजूदा 75,000 रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने को स्वीकृति दे दी है। इसके अलावा निगम ने स्वरोजगार योजना के तहत रोजगार ऋण की सीमा को भी मौजूदा एक लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने को भी स्वीकृति दी है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. (कर्नल) धनीराम शांडिल ने निदेशक बैठक की मंगलवार को शिमला में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इस उल्लेखनीय वृद्धि से निगम द्वारा कार्यान्वित योजनाओं का लाभ उठाने के लिए अधिक महिलाएं आकर्षित होंगी। उन्होंने राज्य में नियमित अंतराल पर सुनियोजित और व्यवस्थित जागरूकता शिविरों के आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़ी महिलाओं को लाभ प्रदान करने के लिए निगम द्वारा विभिन्न योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। इन शिविरों के माध्यम से महिलाओं को निगम द्वारा संचालित महिला कल्याण के कार्यों से जुड़ी जानकारी प्रदान करने में सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 10 अप्रैल, 1989 को गठित निगम का मुख्य उद्देश्य बिना किसी भेदभाव के महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक उत्थान सुनिश्चित करना है। निगम महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करने के लिए न्यूनतम 4 प्रतिशत ब्याज दर पर और रोज़गार के लिए 6 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण प्रदान करता है। ऋण प्राप्त करने के लिए आवश्यक पात्रता के तहत महिलाओं की पारिवारिक आय प्रतिवर्ष एक लाख रुपये से कम होनी चाहिए। महिला विकास निगम ने अपनी स्थापना से अब तक 13,551 महिलाओं को लाभान्वित करते हुए 69.36 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण प्रदान किए हैं। इसके अतिरिक्त लाभार्थी महिलाओं को 2.64 करोड़ रुपये से अधिक की ब्याज सब्सिडी प्रदान की गई है। निदेशक मंडल ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए निगम की प्रस्तावित कार्य योजना और वित्तीय वर्ष 2021-22 तथा 2022-23 के बैलेंस शीट सहित विभिन्न मुद्दों को स्वीकृति प्रदान की।