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ईडी ने सारा रिकॉर्ड किया तलब

केसीसी बैंक की ऋण माफी योजना की जांच शुरू

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक लिमिटेड की एकमुश्त निपटान (ओटीएस) योजना के तहत दी गई ऋण माफी की जांच शुरू कर दी है। ईडी ने बैंक से इस योजना से जुड़े किए हैं। यह कदम राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की रिपोर्ट के आधार पर उठाया गया है, जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक विफलताओं का खुलासा हुआ था। इसी रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने 12 सितम्बर को बैंक के पूरे 20 सदस्यीय निदेशक मंडल को निलंबित कर दिया था।नाबार्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च 2024 तक बैंक की स्थिति चिंताजनक रही। इसमें 767.45 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति क्षरण, 11.34 करोड़ रुपये की प्रावधान कमी और 23.45 प्रतिशत की सकल एनपीए दर दर्ज की गई, जो अनुमेय सीमा से कहीं अधिक है। इसके अलावा परिचालन क्षेत्र से बाहर 1,090 ऋण स्वीकृत किए गए, जिनमें से 80 प्रतिशत डूबते ऋण में तब्दील हो गए। रिपोर्ट ने केवाईसी, धन शोधन निरोधक प्रोटोकॉल और धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग में गंभीर खामियों की ओर भी इशारा किया।

ओटीएस योजना के तहत बैंक ने 5,461 मामलों में 198.37 करोड़ रुपये के ऋणों का निपटान किया। इसमें से 185.38 करोड़ रुपये माफ कर दिए गए, जबकि उधारकर्ताओं ने 112.12 करोड़ रुपये लौटाए। आरोप है कि इस प्रक्रिया से सत्तारूढ़ कांग्रेस नेताओं, विधायकों और पूर्व विधायकों को लाभ पहुंचाया गया। भाजपा प्रवक्ता संजय शर्मा ने इसे भ्रष्टाचार करार देते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने प्रभावशाली नेताओं को फायदा पहुंचाने के लिए योजना का दुरुपयोग किया।

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राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि ईडी की यह जांच हिमाचल प्रदेश की राजनीति को हिला सकती है। इसमें न केवल सत्तारूढ़ दल के नेता बल्कि कुछ वरिष्ठ नौकरशाह भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। बैंक प्रबंधन द्वारा पहले बर्खास्त कर्मचारियों को पुनः बहाल करने जैसे फैसलों ने भी संदेह को और गहरा दिया है।

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