सोलन में फिर पेयजल संकट, गिरी व अश्विनी नदी में आ रही सिल्ट
हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश से सोलन की प्यास बुझाने वाली अश्वनी नदी और गिरी नदी में एक बार फिर से भारी मात्रा में सिल्ट आ रही है। इससे अश्विनी पेयजल योजना से सोलन शहर के लिए मांग अनुसार पानी नहीं मिल रहा है। आलम यह है कि नगर निगम के पेयजल टैंकों में अब आपात स्थिति लायक ही पानी बचा है। ऐसे में नगर निगम के लिए शहर की प्यास बुझाना चुनौती बन गया है। जानकारी के मुताबिक टैंक रोड के तीन टैंकों में 4 लाख गैलन पानी बचा है,जबकि इसकी स्टोरेज क्षमता करीब 18 लाख गैलन है। नगर निगम को रोज 18 लाख गैलन पानी की जरूरत रहती है जबकि इन दिनों पेयजल योजनाओं में सिल्ट आने से जल शक्ति विभाग से मांग से आधा पानी भी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में शहर में रोटेशन के आधार पर चार से पांच दिन बाद पेयजल की आपूर्ति की जा रहे है। सोमवार को अश्विनी पेयजल योजना से 2.15 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) और गिरी योजना से 3.58 एमएलडी पानी ही प्राप्त हुआ।
नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में सोलन की आबादी में भारी वृद्धि हुई है, जिससे पानी की खपत लगभग दोगुनी हो गई है। बावजूद इसके, अब भी जल आपूर्ति की जिम्मेदारी अश्विनी और गिरी की पुरानी योजनाओं पर ही टिकी हुई है, जिससे मौजूदा जरूरतों को पूरा करना कठिन हो गया है। पहले जहां पेयजल संकट केवल गर्मियों में देखने को मिलता था, अब बारिश के मौसम में भी यह परेशानी सामने आ रही है।
चार से पांच दिन बाद मिल रहा पानी
मुख्य पेयजल योजनाओं में बारिश के कारण सिल्ट आ जाने से सोलन के लोगों को चार से पांच दिन बाद ही पानी मिल रहा है। शहर की तरह वार्ड-1 के देउंघाट, वार्ड-16 के रबोन, आंजी सहित वार्ड -14 की हाउसिंग कॉलोनी और वार्ड-13 के क्लीन में लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। निगम से पानी नहीं मिलने के चलते लोग टैंकर का पानी खरीदने को मजबूर है। दरसल गिरी नदी में बारिश के कारण आ रही गाद के चलते पर्याप्त मात्रा में पानी की लिफ्टिंग नहीं हो पा रही है। शहर के क्लब टैंक, लोअर बाजार, लक्कड़ बाजार, हरी मंदिर, ठोड़ो ग्राउंड , धोबीघाट, चेला साइड, सनी साइड ,डिग्री कॉलेज कोटलानाला, पटराल, साइंटिस्ट कॉलोनी, पवन विहार और नेगी कॉलोनी जगहों पर तीन से चार दिन बाद भी पेयजल की सप्लाई नहीं हुई।
विभागों में तालमेल की कमी
शहर में पेयजल किल्लत का कारण विभागीय तालमेल की कमी भी है। एक तरफ जल शक्ति विभाग शहर की आबादी के मुताबिक रोज मांग अनुसार पानी देने का दावा करता है वहीं नगर निगम दशकों से मांग के मुताबिक पानी न मिलने का रोना रोती आ रही है। इसी के चलते शहर में रोटेशन प्रणाली के आधार पर पेयजल वितरण किया जा रहा है। जल शक्ति विभाग ने अपने स्तर पर शहर में सर्वे करवाया है, जिसमें पेयजल पाइप लाइनों में रोज 30 फीसदी पानी बर्बाद होने की बात कही गई है। इस विभागीय खिंचतान का खामियाजा शहरवासियों को भुगतना पड़ रहा है।