शिमला, 13 मार्च (निस)
हिमाचल प्रदेश में जल शक्ति विभाग व बिजली बोर्ड के मध्य तालमेल के अभाव में दर्जनों पेयजल व सिंचाई योजनाओं का कार्य अधर में है। विडंबना यह है कि इनमें से कई योजनाओं का सिविल कार्य पूरा होने के बावजूद पावर कनैक्शन न मिलने की वजह से योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है, यही नहीं कई योजनाएं ऐसी हैं जिनका खाका 2010 में खींचा गया, मगर इनका कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है। जल शक्ति विभाग के रोहड़ू व चंबा वृत्तों में इस तरह की कई योजनाएं हैं। विधानसभा की प्राक्कलन समिति की सदन में प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में इस ओर इशारा किया गया है। प्राक्कलन समिति के सभापति वरिष्ठ विधायक रमेश धवाला हैं।
प्राक्कलन समिति ने ठेकेदारों की लेट लतीफी की वजह से लंबित योजनाओं के मामले में ठेकेदारों पर कार्रवाई करने व जल शक्ति विभाग द्वारा एसओपी के तहत धनाबंटन करने के बावजूद बिजली बोर्ड के अधिकारियों द्वारा योजनाओं को चालू करने अथवा उनमें बिजली का कनैक्शन देने के लिए सामग्री न खरीद पाने वाले बोर्ड के अधिकारियों पर कार्रवाई करने की सिफारिश की है। विधान सभा के बजट सत्र में शुक्रवार को प्राक्कलन समिति की रिपोर्ट पेश की गई।
समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि बजट का प्रावधान होने के बावजूद जल शक्ति विभाग की सैंकड़ों उठाऊ पेयजल व सिंचाई योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। राज्य बिजली बोर्ड द्वारा इन योजनाओं को पावर कनैक्शन न दिए जाने की वजह से करोड़ों खर्च करने के बावजूद योजनाओं का लाभ आमजन तक नहीं पहुंच पा रहा है। हैरानी की बात यह है कि 2016-17 से 2020-21 व 2021-22 के बीच की दर्जनों योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। समिति की रिपोर्ट में अलग-अलग कारणों से लंबित करीब 431 योजनाओं का जिक्र किया गया है।