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कुत्तों का कहर : सोलन की हर गली में खतरा

सोलन की सड़कों पर अब ट्रैफिक से ज्यादा डर कुत्तों का है। अस्पताल में हर दिन डॉग बाइट के मरीज पहुंच रहे हैं, मोहल्लों में लोग बच्चों को अकेले बाहर भेजने से डरते हैं और दूध या अखबार पहुंचाने वालों...
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सोलन की सड़कों पर अब ट्रैफिक से ज्यादा डर कुत्तों का है। अस्पताल में हर दिन डॉग बाइट के मरीज पहुंच रहे हैं, मोहल्लों में लोग बच्चों को अकेले बाहर भेजने से डरते हैं और दूध या अखबार पहुंचाने वालों पर कुत्तों के हमले आम हो गए हैं।

हाल ही में एक ही दिन में 24 से अधिक लोगों को कुत्तों ने काटा। बीते एक साल में क्षेत्रीय अस्पताल में 213 मामले दर्ज हुए हैं। शहर की कई कॉलोनियों में झुंड बनाकर घूमते ये कुत्ते किसी अनजान को देखते ही हमला बोल देते हैं।

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शहरवासियों को उम्मीद थी कि ठोडो ग्राउंड के पास 45 लाख की लागत से बना डॉग स्टरलाइजेशन ओटी और केयर यार्ड आवारा कुत्तों की समस्या से राहत दिलाएगा। ओटी तैयार है, डॉग यार्ड भी बन चुका है, लेकिन नसबंदी का काम अब तक शुरू नहीं हुआ। नगर निगम अब शॉर्ट टर्म टेंडर की बात कर रहा है और केंद्रीय पशु कल्याण बोर्ड से अनुमति भी मिल चुकी है, लेकिन कार्रवाई फाइलों में उलझी है। नगर निगम की महापौर ऊषा शर्मा का कहना है df शहर में कुत्तों की नसबंदी जल्द शुरू की जाएगी। डॉग ओटी तैयार है और प्रक्रिया जल्द लागू होगी।

कॉलोनियों में रात भर भौंकते हैं झुंड

रात में इन झुंडों की एकसाथ भौंकने की आवाज़ों से बुजुर्गों की नींद टूटती है, बीमारों की तबीयत बिगड़ती है और छात्रों की पढ़ाई बाधित होती है। कई वार्डों में तो दूधवाले और न्यूजपेपर हॉकर्स भी अब आने से कतराने लगे हैं। हर सुबह स्कूल जाते बच्चों को लेकर अभिभावक चिंतित रहते हैं। गली-मोहल्लों में अकेले निकलना खतरे से खाली नहीं।

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