शिमला, 15 नवंबर (निस)
राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा है कि दिव्यांगजनों को सहानुभूति की जरूरत नहीं बल्कि उन्हें अवसर देने की आवश्यकता है। उनके पास अलग प्रकार की प्रतिभा है। वह आज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एवं उमंग फाउंडेशन शिमला द्वारा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में आयोजित दिव्यांगजनों की प्रतिभा का सम्मान कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने विश्वविद्यालय में छात्रावासों में रह रहे दिव्यांग विद्यार्थियों को हॉस्टल फीस माफ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन भी समाज का अहम हिस्सा है और उनके पास विशेष प्रतिभा है। इनमें से कई अपने महत्वपूर्ण योगदान से समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इसलिए हमें उनके प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिव्यांगजनों के लिए कंप्यूटर, लैपटॉप व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाकर यह पहल की है।
राज्यपाल ने उमंग फाउंडेशन द्वारा इस दिशा में किए जा रहे कार्यों की सराहना की तथा कहा कि उमंग से प्रेरणा लेकर अन्य सामाजिक संगठनों को आगे आना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन की भी दिव्यांगजनों को दी जा रही सुविधाओं के लिए सराहना की तथा कहा कि इस दिशा में और कार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने विश्वविद्यालय सभागार में रैंप निर्मित करने के भी निर्देश दिए। इस अवसर पर राज्यपाल ने दिव्यांग प्रतिभाओं को सम्मानित भी किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं यू.जी.सी. सदस्य प्रो. नागेश ठाकुर ने कहा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद दिव्यांगजनों ने समाज में मिसाल कायम की है।
स्कूल खुले : पहले दिन 50 फीसदी रही उपस्थिति
कोरोना काल के बाद हिमाचल प्रदेश में आज से स्कूल पूरी तरह खुल गए हैं। प्रदेश सरकार के निर्णय के बाद आज से राज्य में पहली और दूसरी कक्षा के नन्हे-मुन्ने भी फिर से स्कूल लौट आए हैं। इसी के साथ राज्य में स्कूलों में फिर से रौनक पूरी तरह लौट आई है। प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पिति में कड़कड़ाती ठंड के बीच तंदूर के सहारे बच्चों की कक्षा लगी। लगभग दो साल के अंतराल के बाद फिर से खुले स्कूलों में ये बच्चे इससे पहले नर्सरी कक्षा में स्कूल आए थे और अब इसके बाद सीधे दूसरी कक्षा में इनका फिर से स्कूल आगमन हुआ है और ये काफी खुश हैं। इन नन्हें-मुन्नों के फिर से स्कूल खुल जाने से शिक्षक और अभिभावक दोनों ही खुश हैं और इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का भी कड़ाई से पालन हो रहा है। पहली और दूसरी कक्षा के स्कूल खुलने के पहले दिन आज शिमला में 50 प्रतिशत विद्यार्थी ही स्कूल पहुंचे। स्कूलों में बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। ऊना जिला में कई बच्चे जिंदगी में पहली बार स्कूल पहुंचे। दूसरी कक्षा के ये बच्चे बीते वर्ष ऑनलाइन पढ़ाई होने के चलते एक बार फिर स्कूल नहीं जा पाए थे। ऊना के प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक देवेन्द्र चंदेल ने कहा कि आज से स्कूल आ रहे इन बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की गई है। इस बीच प्रदेश सरकार ने निजी स्कूलों में पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को स्कूल बुलाने का फैसला स्कूल प्रबंधन पर छोड़ा है।