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धर्मशाला और जसविंदर भल्ला : एक अविस्मरणीय रिश्ता

पंजाबी सिनेमा और हास्य जगत के दिग्गज कलाकार डॉ. जसविंदर भल्ला का कल (22 अगस्त 2025) मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक के कारण निधन हो गया। उनकी आयु 65 वर्ष थी। इस दुखद समाचार ने न केवल पंजाबी...
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पंजाबी सिनेमा और हास्य जगत के दिग्गज कलाकार डॉ. जसविंदर भल्ला का कल (22 अगस्त 2025) मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक के कारण निधन हो गया। उनकी आयु 65 वर्ष थी। इस दुखद समाचार ने न केवल पंजाबी फिल्म उद्योग, बल्कि पूरे उत्तर भारत और विशेष रूप से धर्मशाला की सांस्कृतिक दुनिया को गहरे शोक में डुबो दिया है। जसविंदर भल्ला सिर्फ एक अभिनेता या हास्य कलाकार नहीं थे, वे एक युग थे एक ऐसा चेहरा जिसकी मुस्कान और संवाद हर पीढ़ी के दिल में जगह बना चुके थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि जसविंदर भल्ला का धर्मशाला से एक बेहद गहरा और भावनात्मक रिश्ता रहा है। यह वही शहर था जहाँ उनके अभिनय करियर की नींव रखी गई थी। वर्ष 1975 से 1983 के बीच, धर्मशाला में हर साल आयोजित होने वाला प्रसिद्ध गैलेक्सी उत्सव जिसमें वन-एक्ट प्ले, ड्रामा, भांगड़ा और सिंगिंग प्रतियोगिताएं शामिल होती थीं जसविंदर भल्ला के करियर में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन स्टेज गैंग नामक स्थानीय सांस्कृतिक संस्था द्वारा किया जाता था और यह पूरे उत्तर भारत के युवाओं और कॉलेजों को मंच प्रदान करता था। भल्ला जो उस समय पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना में पढ़ाई कर रहे थे, हर वर्ष विशेष रूप से धर्मशाला आते और विभिन्न प्रस्तुतियों में भाग लेते। उनकी प्रतिभा इतनी विशिष्ट और प्रभावशाली थी कि दर्शक और निर्णायक मंडल उन्हें हर वर्ष उत्साह से देखते थे। उनका प्रसिद्ध पंजाबी वन-एक्ट प्ले ‘तूड़ी वाला कोठा’ दर्शकों के दिलों में बस गया, और इसी प्रस्तुति के लिए उन्हें बेस्ट एक्टर अवॉर्ड से नवाजा गया। यह मंच था जहां पहली बार उनके कॉमिक टैलेंट को बड़े स्तर पर पहचान मिली जहां दर्शकों की तालियों और हंसी ने उनके भीतर के कलाकार को उड़ान दी। धर्मशाला केवल एक शहर नहीं रहा भल्ला जी के लिए, बल्कि एक भावनात्मक भूमि थी जहां उन्होंने कला को समझा, मंच की ताक़त जानी, और हंसी के माध्यम से समाज से संवाद करने की कला सीखी। यही अनुभव आगे चलकर उनकी व्यंग्यात्मक ऑडियो सीरीज़ ‘छनकआ टा’ (1988) की प्रेरणा बनी, जिसने उन्हें पंजाब के हर घर में लोकप्रिय बना दिया।

इसके बाद भल्ला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

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