शिमला, 12 जुलाई (निस)
हिमाचल प्रदेश में बादल फटने व भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान पर जल्द विराम लगेगा। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने विभिन्न एजेंसियों के साथ सर्वेक्षण कर प्रदेश में भूस्खलन के मामले में संवेदनशील 675 जगहों को चिन्हित किया है। संबंधित जिला उपायुक्तों को इन संवेदनशील जगहों पर भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने के मकसद से कार्य योजना बनाने को कहा गया है। पावर प्रोजेक्टों के निर्माण के दौरान खुदाई से निकलने वाले मलबे को कंपनियों को चिन्हित जगहों पर ही ठिकाने लगाना होगा। बरसात के मौसम में यह मलबा अक्सर परेशानी का सबब बना रहता है। राज्य में इन दिनों मानसून खूब तबाही मचा रही है। बारिश से अब तक 116 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। बादल फटने व भूस्खलन की वजह से हुए हादसों में 60 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। लगातार हो रही बारिश व बादल फटने की घटनाओं से लोग खौफजदा हैं। राज्य आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ इस दौरान पूरी तरह हरकत में है। आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के प्रमुख सुदेश मोख्टा के अनुसार विभाग ने भूस्खलन व बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के मकसद से कार्य योजना तैयार कर ली है। उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ का गठन कर लिया गया है। संवेदनशील जगहों पर इनकी तैनाती की जाती है। उन्होंने कहा कि किन्नौर जिला में भूस्खलन को लेकर व्यापक अध्ययन किया गया है। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के विशेषज्ञों के साथ साथ आईआईटी मंडी व रुडक़ी तथा सीबीआरआई के विशेषज्ञों ने अध्ययन किया है।
सभी नदियां उफान पर
धर्मशाला (निस) : कांगड़ा जिले में चार दिन के अंतराल के बाद आज भारी वर्षा हुई जिससे लगभग सभी नदियां नाले उफान पर हैं। अभी तक कुछ कच्चे घरों के नुक्सान के अलावा किसी बड़े हादसे का समाचार नहीं है। भीतरी इलाकों में कच्ची सड़कें जरूर प्रभावित हुई है लेकिन सभी बड़े रूट पर यातायात सामान्य बना हुआ है।
अर्ली वार्निंग सिस्टम मददगार
आईआईटी मंडी द्वारा विकसित अर्ली वार्निंग सिस्टम हिमाचल में भूस्खलन व भारी बारिश से होने वाले जान-माल के नुकसान को रोकने में मददगार साबित होगा। प्रदेश में साल दर साल बरसात के मौसम में होने वाले भूस्खलन व भारी बारिश से होने वाले नुकसान को रोकने के मद्देनजर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने विभिन्न स्थानों पर 50 अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए हैं। कांगड़ा, मंडी में 10-10 जगहों पर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाए गए हैं। भूस्खलन अथवा 5 मिलीमीटर से अधिक बारिश होने की संभावना की स्थिति में अर्ली वार्निंग सिस्टम लोगों को सचेत करेगा। सचेत करने के मद्देनजर भूस्खलन से पहले मिट्टी में होने वाली हरकत को सेंसर से पहचान कर सिस्टम हूटर बजाएगा अथवा ब्लिकिं करेगा। 5 से 10 मिनट पहले चेतावनी स्वरूप हूटर बजने अथवा ब्लिंकिंग होने की स्थिति में लोगों को भूस्खलन वाली जगह पर जाने से रोका जा सकेगा।
गौशाला बहने से 18 पशु मरे
मंडी (निस) : सुंदरनगर के बंदली धार में बारिश से एक व्यक्ति की गौशाला बह गई जिसमें 15 बकरियां और तीन गाय भी दबकर मर गयीं। एसडीम सुंदरनगर ने बताया कि देवेंद्र कुमार निवासी नेरड मुहाल बंदलीधार की गौशाला भारी बारिश के चलते ध्वस्त हो गई जिसमें बकरियों और गायों की मौत हो गई।