शिमला, 6 सितंबर (निस)
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र कल से आरंभ हो रहा है। सत्र के दौरान सत्तादल भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस ने एक-दूसरे को घेरने के लिए तैयारियां पूरी कर ली है। कोरोना महामारी से लड़ रही प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार को इस बार विपक्ष के तीखे हमलों का सामना करना पड़ेगा।
विपक्ष ने सरकार को सत्र के पहले ही दिन कोरोना महामारी के मामले में घेरने की योजना बनाई है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक प्रदेश सरकार राज्य में कोरोना संक्रमण को रोकने में पूरी तरह विफल रही है। ऐसे में पार्टी ने पहले ही दिन इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव लाने के संकेत दिए हैं ताकि इस मुद्दे पर अन्य सभी कामकाज रोककर चर्चा की जा सके। कांग्रेस का कहना है कि सरकार कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने में पूरी तरह विफल रही है। इस कारण राज्य की आर्थिकी पटरी से उतर चुकी है। कांग्रेस का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते राज्य में बेरोजगारी अपने उच्चतम स्तर पर है और लाखों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। इस पर प्रदेश के बाहर से लौटे चार लाख से अधिक हिमाचलियों ने राज्य में पहले से मौजूद बेरोजगारों की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं।
जानकारों के मुताबिक जयराम ठाकुर सरकार में मंत्री सरवीण चौधरी पर बड़े पैमाने पर जमीनें खरीदने का मामला भी सत्र में जोर-शोर से उठेगा। कांग्रेस ने इसके संकेत दे दिए हैं। हिमाचल प्रदेश में हुए फर्जी डिग्री मामले से भी मानसून सत्र के तपने की पूरी संभावना है।
जीएसटी मामला भी रहेगा सुर्खियों में
केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी के हिस्से के तौर पर हिमाचल को मिलने वाली धनराशि को देने से इनकार कर देने का मामला भी मानसून सत्र के दौरान सुर्खियों में रहने की संभावना है। विपक्षी दल कांग्रेस इस मामले पर कई बार हायतौबा मचा चुका है। केंद्र से जीएसटी का ये हिस्सा न मिलने के कारण हिमाचल की वित्तीय हालत अत्यधिक खस्ता है और राज्य में विकास कार्य ठप पड़ चुके हैं तथा अब आने वाले महीनों में सरकार के पास अपने कर्मचारियों व अधिकारियों को वेतन व पेंशन देना भी मुश्किल हो जाएगा। प्रदेश में कोरोना काल में आत्महत्याओं में अचानक जोरदार वृद्धि तथा कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी सत्र के दौरान विपक्ष के हंगामा करने की संभावना है। दूसरी ओर जयराम ठाकुर सरकार फिलहाल कोरोना महामारी के प्रबंधन पर ही बचावी मुद्रा में नजर आएगी।