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बिल भुगतान को लेकर लगाई शर्तें अन्यायपूर्ण : हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग द्वारा मेडिकल बिल भुगतान को लेकर लगाई शर्त को अन्यायपूर्ण ठहराया है। विभाग ने सेवानिवृत पुलिस इंस्पेक्टर के मेडिकल बिल का भुगतान करने से पहले शर्त लगाई थी कि पहले वह मुख्य मंत्री...
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग द्वारा मेडिकल बिल भुगतान को लेकर लगाई शर्त को अन्यायपूर्ण ठहराया है। विभाग ने सेवानिवृत पुलिस इंस्पेक्टर के मेडिकल बिल का भुगतान करने से पहले शर्त लगाई थी कि पहले वह मुख्य मंत्री राहत कोष से बेटे के इलाज के लिए वर्ष 2012 में मिली सवा लाख रुपए की राशि लौटाए। कोर्ट ने इस शर्त को अत्यंत कठोर ठहराया और पुलिस विभाग को आदेश दिए कि वह याचिकाकर्ता के मेडिकल बिल का बिना शर्त भुगतान करे। मामले के अनुसार याचिकाकर्ता प्रीतम मार्शल पुलिस विभाग में कार्यरत था और विभाग से निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुआ था। वर्तमान में उनकी आयु 68 वर्ष है। याचिकाकर्ता के पुत्र को वर्ष 2005 में क्रोनिक किडनी रोग/किडनी फेलियर का पता चला था और उन्हें सप्ताह में दो बार हीमोडायलिसिस कराने की सलाह दी गई थी।

याचिकाकर्ता के अनुसार, इन परिस्थितियों का सामना करते हुए, जिसमें बहुत अधिक खर्च की आवश्यकता थी, याचिकाकर्ता ने वित्तीय सहायता की मांग करते हुए अपने विभाग से संपर्क किया, लेकिन उन्हें अपने बेटे के खर्च और उपचार को पूरा करने के लिए विभाग से कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली। इन परिस्थितियों में, याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया, जिन्होंने मुख्यमंत्री राहत कोष से 1,25,000 रुपये की राशि स्वीकृत की। याचिकाकर्ता का पुत्र अपनी बीमारी से हार गया और 23.09.2021 को उसकी मृत्यु हो गई। याचिकाकर्ता की शिकायत थी कि अब, विवादित आदेश के अनुसार, याचिकाकर्ता को देय चिकित्सा प्रतिपूर्ति के संबंध में यह आदेश दिया गया है कि उसे मुख्यमंत्री राहत कोष से प्राप्त 1,25,000 रुपये की राशि काट ली जाएगी। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने याचिका को स्वीकारते हुए कहा कि कहा कि चूँकि याचिकाकर्ता के बेटे ने लगभग एक दशक तक बीमारी से जूझने के बाद वर्ष 2021 में अपनी जान गंवा दी, जो न केवल शारीरिक रूप से बल्कि बच्चे और याचिकाकर्ता के परिवार के लिए भी भावनात्मक रूप से कष्टदायक थी।

 

 

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