जातिगत भेदभाव ने ली 12 साल के मासूम की जान
शाम करीब साढ़े सात बजे जब पिता घर लौटे तो उन्होंने बेटे को अचेत अवस्था में बिस्तर पर पड़ा पाया। परिजन तुरंत उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रोहड़ू लेकर गए, जहां से डॉक्टरों ने उसकी गंभीर हालत देखते हुए आईजीएमसी शिमला रैफर कर दिया। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद मासूम की जान नहीं बचाई जा सकी और 17 सितंबर की रात करीब डेढ़ बजे उसकी मौत हो गई।
पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक शुरुआत में परिजनों को यह मालूम नहीं था कि बेटे ने जहर क्यों खाया। लेकिन 18 सितंबर को जब परिजन घर लौटे तो मृतक की मां ने पूरे घटनाक्रम का खुलासा किया। उसने बताया कि बेटे को गांव की तीन महिलाओं ने पीटा था और गौशाला में बंद कर दिया था। इसी अपमान और प्रताड़ना से दुखी होकर उसने यह कदम उठाया। परिवार ने पुलिस को यह शिकायत दी। इसके बाद पुलिस ने 19 सितंबर को मामले में एफआईआर दर्ज की। आरंभ में इस मामले में अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं शामिल नहीं की गई थी।
रोहड़ू के डीएसपी प्रणव चौहान ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने अनुसूचित जाति से जुड़े होने के आधार पर अनुसूचित जाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं भी जोड़ीं। पुलिस के अनुसार आरोपी महिला ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली है। कोर्ट ने पुलिस को इस पूरे मामले की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के भी आदेश दिए हैं।