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सुप्रीम कोर्ट भेजे जाएंगे आवारा कुत्तों के अधिकार से जुड़े मामले

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित आवारा कुत्तों की नसबंदी एवं विसंक्रमण करने और सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने और उनके अधिकार से जुड़े मामले सुप्रीम कोर्ट भेजे जाएंगे। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ...
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित आवारा कुत्तों की नसबंदी एवं विसंक्रमण करने और सड़कों से आवारा कुत्तों को हटाने और उनके अधिकार से जुड़े मामले सुप्रीम कोर्ट भेजे जाएंगे। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसे ही मामलों से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है और देश भर से सभी ऐसे मामले सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए हैं।

इस पर कोर्ट ने हाईकोर्ट में लंबित ऐसे आवारा पशुओं के पक्ष और विपक्ष में दर्ज याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट भेजने की कार्यवाही शुरू करने के आदेश जारी किए।

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केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट में बताया था कि आवारा कुत्तों को टीकाकरण के बाद उसी स्थान पर छोड़े जाने के प्रावधान में बदलाव संभव नहीं है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 10 सितंबर 2024 को पारित आदेश में केंद्र सरकार को आवारा कुत्तों की नसबंदी और रोगाणु रहित करने के बाद वापस उसी स्थान पर छोड़े जाने के नियम पर पुनर्विचार करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने सभी प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर उपयुक्त हलफनामा दायर करने के आदेश जारी किए थे। एनिमल बर्थ कंट्रोल एक्ट 2023 के तहत बनाए नियम में आवारा कुत्तों को नसबंदी और रोगाणु रहित करने के बाद उसी स्थान पर छोड़ा जाता है जहां से उन्हें पकड़ा जाता है।

दोषी नीलू चरानी की अपील पर सुनवाई शुरू

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में गुड़िया रेप व निर्मम हत्या के दोषी नीलू चरानी की अपील पर सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने राज्य सरकार को गृह सचिव के माध्यम से प्रतिवादी बनाने के आदेश। कोर्ट ने सरकार को अगली सुनवाई तक नीलू का हिरासत प्रमाणपत्र पेश करने के आदेश दिए। मामले पर अगली सुनवाई 27 अक्तूबर को निर्धारित की गई है। इस मामले में शिमला स्थित सीबीआई कोर्ट ने दोषी नीलू को उम्रकैद की सजा सुनाई है। प्रार्थी ने खुद को दोषी ठहराने और उम्रकैद की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की है।

धीमी गति पर स्वतः संज्ञान

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सोलन जिला के माजरीहट्टा से नालागढ़ चौक तक के राष्ट्रीय राजमार्ग के विस्तारीकरण की धीमी गति पर स्वतः संज्ञान लिया है। कोर्ट ने एनएचएआई व लोक निर्माण विभाग को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने एनएचएआई से यह बताने को कहा है कि इस परियोजना का कार्य कब शुरू किया गया था। कार्य को पूरा करने के लिए कितने ठेकेदारों को नियुक्त किया गया। कार्य अब किस चरण तक पहुंचा है। कार्य को पूरा करने में देरी क्यों हो रही है।

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