बिजली महादेव रोपवे मामला : देवी-देवताओं की नाराजगी के चलते सुक्खू ने केंद्र सरकार के पाले में डाली गेंद
Bijli Mahadev Ropeway बिजली महादेव रोपवे प्रोजेक्ट पर उठे विवाद के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने यह मामला केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया है। उन्होंने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार केंद्र के निर्णय को ही अंतिम मानेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुल्लू घाटी में पर्यटन विकास के लिए यह परियोजना महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकार देवी-देवताओं की परंपराओं और भावनाओं का पूरा सम्मान करती है।
सुक्खू ने शिमला में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि परियोजना से जुड़ी सभी धार्मिक औपचारिकताएं पूरी की गई हैं और इसमें केंद्र सरकार का बड़ा आर्थिक निवेश है। इसलिए अंतिम निर्णय वही लेगी। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय विधायक सुंदर ठाकुर इस परियोजना में विशेष दिलचस्पी रखते हैं और क्षेत्र के विकास को लेकर लगातार प्रयासरत हैं।
इस बीच, कुल्लू घाटी के नग्गर क्षेत्र में हाल में आयोजित जागती में देवी-देवताओं की ओर से यह संदेश आया कि बिजली महादेव देवता इस समय अत्यंत नाराज हैं। देववाणी में कहा गया कि मंदिर क्षेत्र में हो रही छेड़छाड़ तुरंत रोकी जाए, अन्यथा इंसान को देव प्रकोप झेलना पड़ सकता है। यह धार्मिक चेतावनी स्थानीय समाज में चर्चा का विषय बनी हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है। केंद्र सरकार अब बिजली महादेव रोपवे विवाद में सभी पक्षों की राय सुन रही है। यह मामला राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में भी विचाराधीन है।
प्रधानमंत्री ने इस विषय पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की है। यह समिति मंगलवार को दिल्ली में बिजली महादेव रोपवे संघर्ष समिति से मुलाकात करेगी। बैठक में पूर्व सांसद महेश्वर सिंह सहित अन्य प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। समिति ‘देववाणी’ और स्थानीय भावनाओं को ध्यान में रखकर रिपोर्ट तैयार करेगी, जिसे प्रधानमंत्री को सौंपी जाएगी। इसके बाद केंद्र सरकार अंतिम निर्णय लेगी।
‘अभी रौद्र रूप नहीं दिखाया’
नग्गर में आयोजित जागती में देवी-देवताओं ने स्पष्ट कहा कि बिजली महादेव देवता गहरी नाराजगी में हैं। उन्होंने चेताया कि मंदिर क्षेत्र में जो भी छेड़छाड़ हो रही है, उसे तुरंत रोका जाए। देववाणी में कहा गया, ‘अभी तो बिजली महादेव ने अपना रौद्र रूप नहीं दिखाया है, यदि इंसान नहीं सुधरा तो देवता का प्रकोप झेलना पड़ेगा।’
