शिमला, 19 अप्रैल(हप्र)
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सोलन के जिला कोर्ट कॉम्प्लेक्स के विस्तारीकरण के लिए अधिसूचित भूमि का तुरंत अधिग्रहण करने के आदेश जारी किए हैं। कोर्ट ने सरकार को 2 माह के भीतर अधिगृहीत भूमि का कब्जा जिला एवं सत्र न्यायाधीश सोलन को सौंपने के आदेश भी दिए। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव और न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने जिला बार एसोसिएशन सोलन की याचिका को स्वीकारते हुए यह आदेश दिए। सरकार ने अपनी तंगहाली का हवाला देते हुए मौजूदा कोर्ट कॉम्प्लेक्स के साथ लगती भूमि का अधिग्रहण करने में असमर्थता जताते हुए कहा था कि इस भूमि की कीमत 2 करोड़ के आसपास होगी जो बहुत अधिक है। इसलिए उन्होंने कोर्ट कॉम्प्लेक्स सोलन के लिए बेर खास नामक स्थान पर भूमि का चयन किया है। कोर्ट ने कहा कि अपने नागरिकों को न्यायिक सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार वित्तीय संसाधनों की कमी का रोना नहीं रो सकती। यह सरकार का संवैधानिक दायित्व है। कोर्ट ने सरकार के कुछ कार्यों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2023 -24 का बजट 53 हजार करोड़ रुपए से अधिक था। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए बजट 58 हजार करोड़ रुपए से अधिक है जो पिछले वर्ष से 5 हजार करोड़ रुपए अधिक है। सरकार ने 2000 करोड़ रुपए गगल एयर पोर्ट के विस्तार के लिए चिन्हित किए है। 250 करोड़ रुपए के सालाना खर्चे वाला प्रशासनिक ट्रिब्यूनल खोलने की तैयारी भी सरकार ने कर रखी है। 5 मार्च को सरकार ने 800 करोड़ के खर्चे वाली स्कीम की घोषणा करते हुए 18 से 60 वर्ष की 5 लाख पात्र महिलाओं को 1500 रुपए प्रति माह देने की घोषणा की है। इतना ही नहीं भारी भरकम राशि खर्च कर पुरानी पेंशन योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। कोर्ट ने उपरोक्त तथ्यों का हवाला देते हुए सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि सरकार के पास विभिन्न कार्यों के लिए करोड़ों रुपए तो है परंतु वो यह समझ पाने में असमर्थ है कि सरकार के पास न्यायिक परिसर सोलन के विस्तार के लिए मात्र 2 करोड़ रुपए की राशि नहीं है।