किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग से 413 श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला
हिमाचल प्रदेश में मानसून की भारी वर्षा का कहर लगातार जारी है। भारी वर्षा के चलते सोलन और सिरमौर जिलों में शिक्षण संस्थानों को एक दिन के लिए पूरी तरह से बंद रखा गया जबकि शिमला, कल्लू और मंडी जिला में भी अधिकांश उपमंडलों में आज शिक्षण संस्थान बंद रहे। प्रदेश में भारी बारिश के चलते 4 एनएच सहित 613 सड़कें यातायात के लिए अवरुद्ध हैं। इसके अलावा 635 ट्रांसफार्मर और 266 पेयजल योजनाएं भी ठप्प हैं।
बीते 24 घंटे के दौरान कसौली में सर्वाधिक 145 मिलीमीटर, धर्मपुर में 122.8, गोहर में 120, मलरौंन में 103, बग्गी 95.9, नगरोटा सरियां में 93, श्रीनैना देवी 86, सुंदरनगर 80, कांगड़ा में 71 और बिलासपुर में 70 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई। राज्य में मानसून से जुड़ी घटनाओं में अभी तक 1800 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। शिमला में सेंट बीड्स कॉलेज के पास आज सुबह हिमाचल पथ परिवहन निगम की एक बस पर भारी भरकम पेड़ गिर जाने के कारण बस क्षतिग्रस्त हो गई। हालांकि इस दुर्घटना में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ है। भारी बरसात के चलते सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री नैना देवी से श्री आनंदपुर साहिब जाने वाला मुख्य मार्ग घवांडल चौक के पास बंद हो गया है। इसके चलते श्रद्धालुओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। श्रावण महीने के चलते आजकल श्री नैना देवी जी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। उधर किन्नौर जिला के तांगलिंग क्षेत्र में किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग पर बादल फटने के कारण ट्रैक का बड़ा हिस्सा बह जाने से सैकड़ों यात्री फंस गए थे। आईटीबीपी की 17वीं वाहिनी की टीम ने रस्सी आधारित ट्रैवर्स क्रॉसिंग तकनीक का प्रयोग करते हुए इनमें से अब तक 413 श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। इस बीच बुधवार सुबह जिला प्रशासन किन्नौर को मार्ग पर यात्रियों के फंसे होने की फिर सूचना प्राप्त हुई, जिसके बाद आईटीबीपी और एनडीआरएफ की संयुक्त बचाव टीमें पुनः स्थल पर रवाना हुईं और रेस्क्यू कार्य जारी है। आईटीबीपी लगातार जिला प्रशासन और अन्य एजेंसियों के समन्वय से राहत एवं बचाव कार्य कर रही है।जनजाति जिला किन्नौर में कल से ही भारी बारिश हो रही है जिसे जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है। खराब मौसम को देखते हुए कल से ही किन्नर कैलाश यात्रा जो 15 जुलाई से 30 अगस्त तक चलने वाली है उसे रोक दिया गया है। ज़िले में भारी बारिश के कारण अधिकांश संपर्क मार्ग बंद है और राष्ट्रीय उच्च मार्ग बीच बीच में चट्टाने गिरने से अवरुद्ध हैं। निगुलसरी और रिब्बा नाला को बहाल करने के लिए मशीनरी लगा दी गई है। किन्नर कैलाश यात्रा मार्ग पर एक यात्री की मृत्यु हो गई जिसे राहत कर्मियों द्वारा रिकांग पियो लाया गया है। मौसम विभाग ने ऊना, बिलासपुर और कांगड़ा जिलों में भारी वर्षा का येलो अलर्ट जारी किया है।
पौंग बांध से छोड़ा पानी, प्रशासन अलर्ट पर
धर्मशाला (निस) :
कांगड़ा ज़िले में स्थित पौंग बांध का जलस्तर 1,372 फीट तक पहुंच जाने के बाद, भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने बुधवार शाम को बांध के गेटों और स्पिलवे से 20,000 क्यूसेक पानी नियंत्रित रूप से छोड़ना शुरू कर दिया है। ब्यास नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश और मंडी ज़िले के पंडोह बांध से पानी छोड़े जाने के कारण लगातार हो रहे जलस्तर के बीच एहतियाती उपाय के तौर पर यह निर्णय लिया गया। देहर खड्ड, बुहाल खड्ड और देहरी खड्ड जैसी स्थानीय सहायक नदियाँ भी उफान पर थीं, जिससे पौंग बांध में पानी का प्रवाह और बढ़ गया। बांध की अधिकतम भंडारण क्षमता 1410 फीट है, जिसमें 1390 फीट खतरे का स्तर है। सामान्य तौर पर, बीबीएमबी अधिकारी तब पानी छोड़ते हैं जब इसका जलस्तर 1,365 फीट से ऊपर चला जाता है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और पंजाब के होशियारपुर ज़िला प्रशासन हाई अलर्ट पर थे। होशियारपुर की ज़िला मजिस्ट्रेट आशिका जैन ने कहा-हम इस मानसून के मौसम में पौंग बांध सहित सभी बांधों के जलस्तर पर लगातार नज़र रख रहे हैं। बीबीएमबी से सूचना मिली है कि वे पौंग बांध के द्वार खोलकर पानी छोड़ने वाले हैं। कांगड़ा के ज़िला मजिस्ट्रेट हेमराज बैरवा ने कहा कि उन्होंने बीबीएमबी अधिकारियों को नियंत्रित तरीके से धीरे-धीरे पानी छोड़ने का निर्देश दिया है।