प्रेम राज काश्यप/निस
रामपुर बुशहर, 10 जुलाई
निरमंड के अंतर्गत 18570 फुट की ऊंचाई पर स्थित उत्तरी भारत की सबसे कठिनतम धार्मिक यात्रा श्रीखण्ड कैलाश इस बार 2 साल के लंबे अंतराल के बाद प्रशासन की देखरेख में 11 जुलाई से 24 जुलाई तक शुरू की जा रही है।
इस कड़ी में निरमंड के दशनामी जूना अखाड़ा निरमंड से आज माता अम्बिका व स्वामी दत्तात्रेय स्वामी जी की 26वीं छड़ी यात्रा बाबा अशोक गिरि जी महाराज की अगुवाई में छड़ी यात्रा समिति निरमण्ड के सौजन्य से पूरे विधि- विधान व पूजा अर्चना के साथ श्री खंड महादेव के लिए रवाना हुई। यात्रा का विधिवत् शुभारंभ प्रदेश सरकार के शहरी विकास एवं नगर निकाय मंत्री सुरेश भारद्वाज ने पूजा-अर्चना करके किया। उन्होंने इस मौके पर इस छड़ी यात्रा में देश के विभिन्न स्थानों व अखाड़ों से शामिल हुए साधू-महात्माओं, सन्तों व श्रद्धालुओं से भरी बस को हरी झंडी दिखाकर स्थानीय बस अड्डे से रवाना किया।
सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इस यात्रा में भक्तों व श्रद्धालुओं को हर प्रकार की सुविधा मिले, इसके लिए सरकार ने इस यात्रा को श्रीखण्ड यात्रा ट्रस्ट के अधीन किया है। भारद्वाज ने कहा कि सरकार ने आनी व निरमंड कस्बों को नगर पंचायत के अंतर्गत लाया है. जहां शहरी विकास विभाग के सौजन्य से सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। उन्होंने इस दौरान कहा कि दोनों नगर पँचायतों को अमृत योजना के तहत सीवरेज सुविधा से जोड़ा जा रहा है। वहीं उन्होंने निरमंड में एक करोड़ रु लागत से बनने बाली बहुमंजिला पार्किंग और नगर पंचायत कार्यालय भवन के निर्माण के लिए उन्होंने प्रारम्भिक तौर पर 20-20 लाख रु देने की घोषणा की।
आनी के विधायक किशोरीलाल सागर ने अपने सम्बोधन में श्रीखण्ड छड़ी यात्रा के शुभारंभ के लिए श्रीखण्ड छड़ी यात्रा समिति को बधाई व शुभकामनाएं दी। उन्होंने छड़ी यात्रा की सफलता के लिए छड़ी यात्रा समिति को अपनी एच्छिक निधि से 50 हजार रु देने की भी घोषणा की। इस मौके पर नगर पंचायत निरमण्ड की अध्यक्षा ममता रानी व उपाध्यक्ष विकास शर्मा ने शहरी विकास मंत्री के समक्ष निरमण्ड नगर की मांगों को सामने रखा, जबकि छड़ी यात्रा समिति के अध्यक्ष तारकेश्वर शर्मा ने छड़ी यात्रा पर प्रकाश डाला। बता दें कि श्रीखण्ड छड़ी यात्रा 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के दिन श्रीखण्ड कैलाश के दर्शन कर वापिस 18 जुलाई को दशनाम जूना अखाड़ा निरमंड लौटेगी। इस दौरान यात्रा में आने वाले साधु संतों व शरदालूओं के रहने सहने व खाने-पीने की व्यवस्था छड़ी यात्रा समिति निरमण्ड द्वारा की गई है।