सुरेंद्र सिंह सांगवान/ट्रिन्यू
पानीपत, 18 मई
सरकार शिक्षा में सुधार के भले लाख दावे करती हो लेकिन धरातल पर ये दावे तार-तार होते नजर आ रहे हैं। गरीब अभिभावकों के लिये बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना एक मजबूरी है। इससे विभाग के अधिकारी या तो बेखबर हैं या जानबूझकर आंख-कान बंद किये बैठे हैं। शहर के नजदीकी गांव नूरवाला के राजकीय माडल हाई स्कूल में कक्षा एक से 8 के विद्यार्थियों के लिये भीषण गर्मी और लू के थपेड़े सहना तथा कक्षा नौवीं और दसवीं के विद्यार्थियों के लिये 3 किमी पैदल चलकर ज्ञान अर्जित करना नियति बन चुकी है। परिसर में खड़े पेड़ जरूर पसीने से तर विद्यार्थियों को थोड़ी राहत प्रदान कर रहे हैं। सरकार ने 2014 में इस स्कूल को माडल स्कूल का दर्जा दे दिया लेकिन तब से आज तक इसमें सुधार के नाम पर एक ईंट नहीं लगी। दिनोंदिन हालत जरूर बदतर होती गई। कमरों के अभाव में यहां के नौंवी और दसवीं के विद्यार्थियों को सेक्टर-18 के स्कूल में पढ़ने जाना पड़ता है जो नूरवाला से करीब डेढ़ किमी दूर है। विद्यार्थियों को आने-जाने का करीब तीन किमी का रास्ता पैदल तय करना पड़ता है। यहां 6 से 8 तक की कक्षाएं सुबह की पारी में और एक से पांच तक शाम की पारी में लगती हैं। सुबह की पारी में करीब 11 सेक्शन हैं और बैठने के लिये कमरे मात्र चार। बरामदों और खुले में पेड़ के नीचे कक्षाएं लगाना शिक्षकों की मजबूरी है। ऐसे में भीषण गर्मी में बच्चों को लू के थपेड़े भी सहन करने पड़ते हैं। जो चार कमरे हैं उनका आकार इतना छोटा है कि मुश्किल से एक कमरे में 30-35 विद्यार्थी ही बैठ पाते हैं। कक्षा एक दसवीं तक यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या 1500 के करीब है जो शहर की करीब डेढ़ दर्जन कालोनियों से आते हैं।
क्या कहते हैं डीईओ
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी बृजमोहन का कहना है कि नये कमरों के लिये ढाई करोड़ का एस्टीमेट बनाकर विभाग को भेजा जा चुका है। मंजूरी मिलने के बाद निर्माण कार्य शुरू करा दिया जायेगा।
अध्यापकों के कई पद रिक्त
स्कूल में पीजीटी का एक, टीजीटी के 5, जेबीटी के 6 और चौथा दर्जा कर्मचारी के 2 पद खाली हैं। हालत ऐसी है कि लिपिक को भी मुख्याध्यापक के कमरे में बैठकर कार्य निपटाना पड़ता है। न स्टाफ रूम है और न लैब की उचित व्यवस्था। पीटीआई का एक पैर सेक्टर 18 में और एक नूरवाला स्कूल में रहता है। बायोमीट्रिक मशीन और जनरेटर सेट अर्से से खराब है। मुख्याध्यापक विनोद बंसल ने बताया कि कंडम घोषित कमरे गिराये जा चुके हैं लेकिन नये की मंजूरी नहीं आई है।