चंडीगढ़, 22 दिसंबर (ट्रिन्यू)
यमुना नदी के साथ बसे गांवों के किसानों का ‘दर्द’ बुधवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शून्यकाल के दौरान उभर कर सामने आया। वक्त के साथ यमुना की राह बदल रही है लेकिन, किसानों का भाग्य नहीं बदल पाया। घरौंडा से भाजपा विधायक हरविंद्र कल्याण ने यमुना के साथ लगते गांवों के किसानों की आवाज सदन में बुलंद की।
दरअसल, यमुना में पानी के बहाव के अलावा माइनिंग की वजह से कई बार यमुना की राह बदलती है। कैग की रिपोर्ट में भी यह खुलासा हो चुका है कि अवैध माइनिंग की वजह से यमुना का रुख ही मुड़ गया। बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जिनकी खेती की जमीन यमुना द्वारा रास्ता बदलने के कारण दरिया-बुर्द हो गई। नदी का बहाव फिर से बदला तो किसानों को वह जमीन दोबारा मिल गई।
अब सबसे बड़ी समसया यह आ रही है कि किसानों को उस जमीन का मालिकाना हक नहीं मिल रहा। हरविंद्र कल्याण ने कहा कि इन किसानों की जमीन की न तो रजिस्ट्री होती है और न ही इंतकाल हो सकता है। ऐसे में किसान अपनी जमीन पर कर्ज भी नहीं ले पाते। उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग किसानों की इस समस्या का समाधान करे। इसके लिए अगर नियमों में बदलाव की जरूरत है तो सरकार नियम बदले। विधायक ने कहा कि जब तक किसानों को उनकी जमीन का मालिकाना हक नहीं मिलता तब तक सरकार ‘मेरी फसल-मेरा ब्योरा’ पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन संबंधित किसानों के मोबाइल नंबर पर ही ओटीपी भेजने का प्रावधान करे। अभी हो यह रहा है कि रजिस्ट्रेशन होने पर उसका ओटीपी संबंधित गांव के सरपंच या ग्राम सचिव के पास जाता है। ऐसे में किसान खुद मालिक होने के बावजूद अपनी ही जमीन के रिकार्ड के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।