चंडीगढ़, 22 फरवरी (ट्रिन्यू)
कोविड-19 के अनुभवों को ध्यान में रखते हुए इस बार हरियाणा में स्वास्थ्य विभाग का बजट तय होगा। माना जा रहा है कि स्वास्थ्य सेक्टर के बजट में इस बार काफी बढ़ोतरी हो सकती है। इस मुद्दे पर मंगलवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विभाग के आला अधिकारियों के अलावा एम्स सहित कई अस्पतालों व मेडिकल कॉलेजों के वरिष्ठ डॉक्टरों के साथ प्री-बजट बैठक में मंथन किया।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई इस बैठक में कई डॉक्टर वर्चुअल जुड़े। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बैठक में शामिल हुए। इस दौरान सीएम ने कहा, स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित प्राथमिकताओं पर आने वाले बजट में जोर दिया जाएगा ताकि प्रत्येक नागरिक को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा, बैठक में स्वास्थ्य से जुड़े सरकारी, निजी डॉक्टरों व अन्य प्रतिनिधियों के माध्यम से आए सुझावों पर विचार करके बजट में जोड़ने का प्रावधान होगा।
सीएम ने कहा कि प्रतिनिधि अपने सुझाव या जानकारी ईमेल या पत्र भेजकर दे सकता है। उन सुझावों पर ज्यादा बल दिया जाएगा, जोकि नागरिक अस्पतालों में सेवाओं को बेहतर करने पर आधारित होंगे। दूर-दराज के गांवों में भी लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए तथा ग्रामीण क्षेत्र को कवर करने के लिए जल्द ही नीति को तैयार किया जाएगा।
इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा, किसी भी सरकार के लिए तीन बिंदुओं की प्राथमिकता होती है। इनमें स्वास्थ्य, शिक्षा और सुदृढ़ अवसंरचना को तैयार करना आवश्यक होता है। मुख्यमंत्री की प्रशंसा करते हुए विज ने कहा, यह पहली बार ऐसा हो रहा है कि मुख्यमंत्री ने बजट से पूर्व इस प्रकार की चर्चा व विचार-विमर्श करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में स्वास्थ्य विभाग का बजट 1500 करोड़ था, जो अब बढ़कर 6500 करोड़ रुपये को पार कर गया है। राज्य के चार जिलों में कैथलैब संचालित हैं, लेकिन इन्हें बाकी जिलों में भी स्थापित करने की प्रक्रिया जारी है। एमआरआई, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड व आईसीयू की सुविधा दी जा रही है। वर्तमान राज्य सरकार ने हर जिले में मेडिकल कालेज खोलने का निर्णय लिया है जिसके तहत चार जिलों में मेडिकल कॉलेज हैं तथा तीन में निर्माणाधीन है तथा तीन जिलों में मेडिकल कॉलेज को खोलने की अनुमति मिल चुकी है।
वीडियो कांफ्रेंसिंग बैठक में पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया से डॉ़ श्रीनाथ रेड्डी, पीजीआई रोहतक की वाइस चांसलर डॉ़ अनिता सक्सेना, आईएमए से डॉ़ पुनिता हसीजा, डॉ़ दिव्या सक्सेना, डॉ़ पंकज मुटरेजा, डॉ़ नवनीत बाली, डॉ़ हरप्रकाश, डॉ़ रजनी मलिक, डॉ़ रमेश सहगल, आयुष विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ़ बलदेव, डब्ल्यूएचओ से डॉ़ विशेष कुमार, डॉ़ आरके अनेजा, डॉ़ वेद बेनीवाल, डॉ़ बिपिन कौशल ने भी अपने-अपने सुझाव दिए। इस मौके पर आयुष विभाग के निदेशक डॉ़ साकेत ने भी अपने-अपने सुझाव दिए।
वीसी में नीति आयोग के सदस्य डॉ़ विनोद के़ पाल ने कहा, स्वास्थ्य सेक्टर को बड़ी प्राथमिकता दी जानी चाहिए। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक स्वास्थ्य के बजट को राज्य सरकारों के लिए कुल बजट का 8 प्रतिशत निर्धारित करने का लक्ष्य दिया है ताकि लोगों को स्वास्थ्य से संबंधित सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सके।
एम्स, दिल्ली के निदेशक डॉ़ रणदीप गुलेरिया ने सीएम को कई सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने अन्य राज्यों के मुकाबले स्वास्थ्य क्षेत्र में अच्छा कार्य किया है। इसलिए हमें नागरिकों को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं देने की ओर बढ़ना होगा।
आयुष्मान योजना में कवर होंगे हरियाणा के 8 लाख किसान
हरियाणा के किसानों को भी अब सरकार ‘आयुष्मान भारत’ योजना में कवर करेगी। उन किसानों को पांच लाख रुपये तक कैशलेस मेडिकल सुविधा मिलेगी, जिनके पास तीन एकड़ तक भूमि है। इस कैटेगरी में आठ लाख से अधिक किसानों के कवर होने का अनुमान है। मेडिकल कैशलेस की यह सुविधा लाभार्थी किसान के अलावा उनके परिवार के सदस्यों को भी मिलेगी। किसानों के प्रीमियम का भुगतान सरकार अपने स्तर पर करेगी। इसमें यह भी शर्त लगाई गई है कि योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा, जिनकी सालाना आय 1 लाख 80 हजार रुपये तक है। सीएम प्री-बजट चर्चा को लेकर किसानों से सीधी बात कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने किसानों से कृषि क्षेत्र के विकास में बजट प्रावधान के लिए उनके सुझाव आमंत्रित किए। उन्होंने कहा, किसानों के जरूरी सुझावों को बजट में शामिल किया जाएगा।