पानीपत, 22 दिसंबर (निस)
पानीपत की करीब एक हजार कोयला बेस्ड इंडस्ट्री को बचाने के लिये विभिन्न औद्योगिक एसोसिएशनों के पदाधिकारियों की बैठक बुधवार को सेक्टर-29 पार्ट टू स्थित एक फैक्टरी में हुई। जिसमें एसोसिएशनों के पदाधिकारियों ने इस बात पर चर्चा की कि किस तरह से पानीपत के कोयला आधारित उद्योगों को बचाया जा सकता है। बैठक में ज्यादातर उद्यमियों की इस बात पर सहमति बनी कि गुजरात सरकार ने काफी पहले से ही कोयला बेस्ड इंडस्ट्री में 4 टन तक के बॉयलर के लिये वैट सक्रबर और बैक फिल्टर लगाना अनिवार्य किया हुआ है। बैक फिल्टर से काले धुंए के कण बाहर नहीं जाते और वैट सक्रबर लगाने से धुंआ पानी में से होकर गुजर कर बाहर जाता है और इससे प्रदूषण बहुत कम होता है।
पानीपत डायर्स एसोसिएशन के प्रधान भीम राणा व पानीपत इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के प्रधान प्रीतम सिंह ने बताया कि कोयला बेस्ड इंडस्ट्री के लिये गुजरात में पहले से ही यह सिस्टम लगाया जाता है और इससे प्रदूषण गैस के तकरीबन बराबर ही होता है। उद्यमियों ने कहा कि गुजरात वाला यह पैट्रन पानीपत की करीब एक हजार कोयला बेस्ड इंडस्ट्री को बचाने में कारगर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि पानीपत की इंडस्ट्री को बचाने के लिये सभी उद्यमी सांसद संजय भाटिया और शहरी विधायक प्रमोद विज व ग्रामीण विधायक महीपाल ढांडा के माध्यम से केंद्र व प्रदेश सरकार से मिलकर पानीपत में गुजरात पैट्रन अपनाने की मांग करेंगे। उद्यमियों ने कहा कि वे सांसद व विधायकों को साथ में लेकर अपना गुजरात के पैट्रन वाला प्रस्ताव सरकार के सामने रखेंगे।
गुजरात पैट्रन अपनाने से लग सकेंगे बॉयलर वाले नये उद्योग
प्रदूषण के चलते केद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 27 नवंबर, 2020 से पानीपत में कोयला या लकड़ी बेस्ड उद्योग लगाने पर रोक लगाई हुई है। पानीपत में अब क्लीनर फ्यूल यानि पीएनजी, एलपीजी व बायो गैस आधारित उद्योगों को ही एनओसी मिलती है। इसलिये पानीपत में पिछले करीब एक वर्ष से करीब 15 गैस आधारित उद्योगों को ही लगाने की मंजूरी मिली है। सरकार यदि पानीपत में गुजरात पैट्रन को मंजूरी देती है तो यहां पर नये उद्योग लगाने का रास्ता क्लीयर होगा।