हरेंद्र रापड़िया/हप्र
सोनीपत, 25 जुलाई
देश की स्टार महिला पहलवान विनेश फोगाट वर्ल्ड नंबर वन रैंकिंग हासिल करने के बाद भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल नहीं ला पाई हैं। एक के बाद एक मिली हार और कोहनी की चोट के चलते विनेश निराशा में डूब गईं। ऐसे में उनके मन में कुश्ती को छोड़ने के विचार आने लगे। टोक्यो ओलंपिक में मिली हार के बाद निराश लौटी विनेश को सितंबर-21 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर बुलाया। विनेश मिठाई लेकर पीएम हाउस पहुंचीं, लेकिन मोदी ने विनम्रत्ाा के साथ यह कहते हुए मिठाई खाने से इनकार कर दिया किया जब तक मेडल नहीं, तब तक मिठाई भी नहीं। मोदी ने विनेश की हौसला अफजाई करते हुए मेडल जीतने के लिए उनमें जोश भरा।
साथ ही, वादा किया कि मेडल जीतने पर अवश्य उनकी मिठाई खाएंगे। विनेश अब 28 जुलाई से इंगलैंड के बर्मिंघम में शुरू हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल जीतकर मोदी को मिठाई खिलाने का प्रण लेकर मैदान में उतरेंगी।
विनेश फोगाट ने ‘दैनिक ट्रिब्यून’ संवाददाता से बातचीत में बताया कि उन्होंने कड़ी मेहनत से दुनिया में नंबर वन रैंकिंग का खिताब तो हासिल कर लिया, लेकिन दुर्भाग्य से अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में उनका प्रदर्शन उनकी ख्याति के अनुरूप नहीं रहा। ऐसे में किसी का भी विचलित होना लाजिमी था। उनके साथ भी वही हुआ। लेकिन पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उनमें एक नया हौसला पैदा हुआ और अब वह 53 किलोग्राम भार वर्ग में देश के लिए मेडल जीतने के इरादे से मैट पर उतरेंगी। उन्होंने कहा, मेडल जीतने के लिए भारतीय खेल प्राधिकरण, लखनऊ में चल रहे शिविर में रोजाना 5 घंटे से अधिक समय तक मैट पर पसीना बहा रही हूं। पिछले साल तुर्की में आयोजित रैंकिंग सीरीज में कोहनी में चोट लग गई थी। ऑपरेशन के बाद चोट से उबरने में कई माह लग गये। कॉमनवेल्थ गेम्स में मुख्य मुकाबला नाइजीरिया और कनाडा की पहलवानों से रहेगा। प्रतिद्वंद्वी पहलवानों और अपने वीडियो विश्लेषण के जरिये कमियों को दूर करने के प्रयास कर रही हूं। इस प्रयास में काफी हद तक सफलता भी मिली है। कोच भी कड़ा अभ्यास कराने के अलावा कमियां दूर करने पर फोकस कर रहे हैं। इससे उनमें आत्मविश्वास बढ़ा है, जो उन्हें मेडल तक लेकर जाएगा।’
पुरुष पहलवानों के साथ किया अभ्यास
शाकाहारी विनेश फोगाट ने कहा, ‘इस बार मैं तैयारियों में किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतीं। डाइट में अपने हाथ से बना शुद्ध शाकाहारी देसी खाना ले रही हूं। मैट पर भी कड़ी मेहनत कर रही हूं। इससे भी एक कदम आगे पुरुष पहलवानों के साथ अभ्यास कर रही हूं। चारों पहलवान को अपने साथ खरखौदा, सोनीपत से साथ लेकर गई थीं। लड़कियों के अलावा लड़कों के साथ कड़ा अभ्यास करने से दमखम बढ़ा है। कड़े अभ्यास के बाद उन्हें महसूस हो रहा है कि वह अब पूरी तरह से फार्म में लौट आई हैं। इस बार मेडल के सूखे को अवश्य खत्म करूंगी।