जहां खेती की उम्मीदें ‘सूखीं’, वहां अब मछलियों से होगी कमाई; सेमग्रस्त भूमि में झींगा उत्पादन का फैसला
हरियाणा के कई किसान वर्षों से अपनी जमीन को सिर्फ देखकर रह जाते हैं। न तो उसमें फसल उगती है, न पानी टिकता है। कारण है- सेम और लवणीयता। हालांकि अब राज्य सरकार इस बेकार होती जमीन को सुधारने के लिए कमर कस चुकी है। कृषि और मत्स्य पालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने बुधवार को इस मुद्दे पर संबंधित विभागों को परस्पर समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि सेमग्रस्त भूमि को उपयोगी बनाने की दिशा में चरखी दादरी जिले में एक विशेष पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। ऐसी जमीनों पर तालाब बनाकर झींगा पालन की संभावनाओं को तलाशा जाए। इससे किसानों को दोहरा लाभ होगा।
एक तो लवणीय पानी निकालने से सेममुक्ति संभव होगी और दूसरा मछली पालन से किसानों की आमदनी होगी। बैठक में तय हुआ कि आपदा प्रबंधन विभाग, सिंचाई विभाग और कृषि विभाग मिलकर ड्रेन सिस्टम और जलनिकासी को बेहतर बनाएंगे, जिससे वर्षा ऋतु में जलभराव से खेतों को नुकसान न हो।
एक लाख एकड़ भूमि का लक्ष्य
प्रदेश सरकार ने 2025-26 के बजट में एक लाख एकड़ लवणीय भूमि को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य तय किया है। कैबिनेट मंत्री ने अधिकारियों को प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने और बजट में की गई घोषणाओं को प्राथमिकता के आधार पर लागू करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों के लिए धन की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।