अनिल शर्मा/निस
रोहतक, 24 अप्रैल
सपना दिखाया गया नये घर का। इसे साकार करने को आशियाना तोड़ दिया। दो साल से ज्यादा वक्त हो गया, न छत बनी और न ही घर मिला। आलम यह है कि परिवार के साथ किराए के मकान में रहने को मजबूर हैं। कहानी एक नहीं, अनेक गांवों-कस्बों की है। कहानी वैसी ही, जिसमें एक शायर ने कहा है, ‘कब आओगे ये घर ने मुझसे चलते वक़्त पूछा था, यही आवाज़ अब तक गूंजती है मेरे कानों में।’ हम बात कर रहे है प्रधानमंत्री आवास योजना की। पांच साल से अधिक समय हो गया है योजना को। घर की उम्मीद में बैठे लोगों को अधिकारियों ने कागजों में ही उलझा कर रखा है।
गरीबों को आशियाना देने की प्रधानमंत्री आवास योजना वर्ष 2017 में शुरू हुई थी। यह योजना उन लोगों के लिए तो थी ही जिनका कोई घर नहीं है, साथ ही उनके लिए भी थी जिनके मकान जर्जर हालत में हैं। मरम्मत के लिए पैसा नहीं है। ऐसे लोगों से अधिकारियों ने कहा कि पुराना मकान तोड़ दो। किस्त मिल जाएगी। लोगों ने मकान तोड़ दिये। अब उनके हिस्से अधिकारियों के चक्कर काटने के सिवा कुछ नहीं आ रहा। कस्बा सांपला के वार्ड पांच निवासी बलवान सिंह की पत्नी अनिता को सांपला नगरपालिका की तरफ से बताया गया कि मकान मंजूर हो चुका है और 72 घंटे में किस्त डाल दी जाएगी। जर्जर मकान से मुक्ति की आस में बलवान ने पुराना मकान तोड़ दिया। गली में ही मकान किराए पर ले लिया। दो साल बाद भी टूटे मकान को छत नहीं मिली। अनिता नए मकान की आस में जिंदगी से भी जंग हार गई और पिछले साल उसकी मौत हो गई। बलवान सब्जी बेचता है। उसने बताया कि सारे कागजात जमा कराने के बाद भी उसे कोई लाभ नहीं मिला। नगर पालिका सांपला के बिल्डिंग निरीक्षक महाबीर सिंह ने बताया कि शुरुआत में एक निजी कंपनी द्वारा कई अपात्र लोगों से भी आवेदन करा दिया गया। सांपला में 661 लोगों ने आवेदन किया था। तीस के मकान बन चुके हैं। बलवान सिंह के बारे में उन्होंने कहा कि जांच की जाएगी। इसी तरह गांव बहु अकबरपुर के पूर्व सरपंच प्रतिनिधि श्याम का कहना है कि गांव में सिर्फ दो लोगों को ही योजना का लाभ मिला है। गांव दतौड़ से ब्लॉक समिति के सदस्य रहे प्रेमदत्त ने बताया कि गांव में करीब सौ से अधिक लोगों को योजना में शामिल किया गया था, एक को भी लाभ नहीं मिला। अब तो उन्होंने उम्मीद ही छोड़ दी है।
यह है प्रावधान
योजना के तहत नए मकान के लिए ढाई लाख और पुराने की रिपेयरिंग के लिए डेढ़ लाख रुपये दिए जा रहें है। शहरी क्षेत्र में योजना का लाभ लेने के लिए 35 वर्ग मीटर जगह होनी चाहिए। इसके अलावा शपथ पत्र, नक्शा, आधार कार्ड, खाता नंबर, पटवारी की रिपोर्ट जमा करानी होती है। इस संबंध में सांपला नगरपालिका की चेयरमैन पूजा इंदौरा का कहना है कि पहले तीन साल अधिकारी फाइल दबा कर रखे हुए थे। दिसंबर 2020 में नगरपालिका की नयी कार्यकारिणी बनी। अब काम में तेजी आई है।
रिपोर्ट तलब होगी : सांसद
सांसद अरविंद शर्मा ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि लाभ देने में देरी पर अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की जाएगी। कोई लापरवाही पाई गई तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी।