‘समय की धूल हटी तो आईने भी बोल उठे, ...अपनी दास्तां खोल उठे’
शीश महल: आईनों से सजा फरुर्खनगर का शीश महल, अब होगा रोशन‘समय की धूल हटे तो आईने भी बोल उठें, फर्रुख़नगर का शीश महल फिर अपनी दास्तान खोल उठे।’ अरावली की तलहटी में बसा फर्रुख़नगर कस्बा अपनी पहचान के लिए जितना नमक उद्योग और सरायों के लिए जाना जाता है, उतना ही मशहूर है शीश महल के लिए। 18वीं सदी की यह भव्य इमारत कभी फौजदार खान की शान थी - वह शासक जिसे मुगल सम्राट फर्रुख़सियर (औरंगज़ेब के परपोते) ने यहां का गवर्नर नियुक्त किया था।आज भी जब कोई पर्यटक इसके दीवान-ए-आम में प्रवेश करता है, तो लकड़ी की छत और पीछे की दीवारों में लगे आईनों की धुंधली झलक उस दौर की रौनक का अहसास कराती है। इन्हीं शीशों से इसे नाम मिला - शीश महल। इतिहासकार बताते हैं कि फौजदार खान ने 1733 ईस्वी में इस महल का निर्माण कराया। यह केवल निवास स्थान नहीं था बल्कि सत्ता, प्रतिष्ठा और शाही जीवनशैली का प्रतीक था।
महल के सामने बहती कृत्रिम जल-धारा और फव्वारे इसकी खूबसूरती और शाही अंदाज़ को और बढ़ाते थे। उस दौर में ऐसी जल संरचनाएं शासकों के आराम और वैभव का हिस्सा हुआ करती थीं। महल का दीवान-ए-आम बलुआ पत्थर से बना एक आयताकार ढांचा है, जो ऊंचे चबूतरे पर खड़ा है। अंदर की छत और दीवारों पर लगे शीशे प्रकाश की किरणों को कई गुना बढ़ाकर प्रतिबिंबित करते थे, जिससे यह जगह जगमगा उठती थी।
फव्वारे और जल चैनल इस स्थापत्य की खास विशेषता थे। यह मुगलकालीन कला और स्थानीय शिल्प का बेहतरीन संगम है। जीर्णोद्धार योजना के तहत महल की दीवारों और आईनों को मूल रूप में पुनर्जीवित किया जाएगा। जल संरचना को फिर से सक्रिय किया जाएगा और परिसर में पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाएं विकसित होंगी। ‘बीते वक्त की चमक जब आज से हाथ मिलाए, शीश महल का हर शीशा नई कहानी सुनाए।’ तो कह सकते हैं कि ना केवल इस धरोहर का संरक्षण होगा, बल्कि फर्रुख़नगर धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का नया केंद्र भी बनेगा।
उपेक्षा की परतों तले दबा वैभव
वर्षों की उपेक्षा और समय की मार ने शीश महल की चमक फीकी कर दी। आईने उखड़ गए, दीवारों पर दरारें आ गईं और फव्वारे सूख गए। धीरे-धीरे यह स्मारक केवल खंडहर जैसी स्थिति में पहुंच गया।
अब संवरने की राह पर
हरियाणा सरकार ने अब इस धरोहर को फिर से संवारने का बीड़ा उठाया है। राज्य बजट से 4 करोड़ 54 लाख 30 हजार रुपये इसके जीर्णोद्धार के लिए मंजूर किए गए हैं। काम शुरू हो चुका है और इसे एक साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
क्या कहते हैं मंत्री
हरियाणा के संस्कृति एवं विरासत मंत्री डॉ़ अरविंद शर्मा ने कहा कि शीश महल हरियाणा की ऐतिहासिक धरोहर है, जो फर्रुख़नगर की पहचान है। यहां की स्थापत्य कला मुगलकालीन भव्यता और स्थानीय कारीगरी का संगम है। सरकार ने इसके जीर्णोद्धार के लिए विशेष बजट स्वीकृत किया है। हमारा उद्देश्य है कि शीश महल को सांस्कृतिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाया जाए। आने वाले समय में यह स्मारक गुरुग्राम जिले ही नहीं, पूरे हरियाणा की शान बनेगा।
