यमुनानगर, 20 अक्तूबर (हप्र)
कोरोना का नवरात्र पर भी असर पड़ा है। श्रद्धालु और मंदिर प्रबंधक कोविड गाइडलाइंस के अनुसार नवरात्र मना रहे हैं। लोग मंदिरों में आ रहे हैं लेकिन इस बार पहले वाली चहल-पहल, भजन कीर्तन नहीं हो रहे। दर्शन से पहले श्रद्धालुओं के हाथ सेनेटाइज करवाए जा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है, मंदिरों में श्रद्धालुओं को ज्यादा देर रुकने नहीं दिया जा रहा है। जंगला वाली माताजी के मंदिर के अलावा अन्य मंदिरों में भी यही स्थिति है। पिछले साल तक नवरात्र पर मंदिरों में मेले जैसा माहौल रहता था, श्रद्धालुओं की लाइन नहीं टूटती थी। कई घंटों बाद दर्शन के लिए नंबर आता था, लेकिन अब 2 घंटे के लिए सुबह और 2 घंटे के लिए शाम को मंदिर खोले जा रहे हैं। श्रद्धालुओं को मूर्तियों से दूरी बनाये रखने की हिदायतें दी जा रही हैं। मंदिर में आने से पहले श्रद्धालुओं के हाथ सेनेटाइज करवाए जाते हैं, उचित दूरी रखी जाती है और मास्क लगाना अनिवार्य है। उसके बाद मंदिर में प्रवेश की इजाजत है। जंगल वाले माताजी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि वह माता रानी से प्रार्थना कर रहे हैं कि हालात पहले जैसे हो जाएं।
सिर्फ नवरात्र में ही खुलता है प्राचीन देवी योग माया मंदिर
जगाधरी (निस) : धातु नगरी के कई धार्मिक स्थलों की देश-दुनिया में अलग पहचान है। इसमें प्राचीन देवी भवन मंदिर, प्राचीन श्री खेड़ा मंदिर, प्राचीन शिव सिद्ध मंदिर भटोली, प्राचीन श्री गौरी शंकर मंदिर, प्राचीन देवी योग माया मंदिर शामिल हैं। प्राचीन देवी योग माया मंदिर का निर्माण पांच हजार साल पहले योगी बाबा अलख नाथ ने कराया था। सेवादार बाबा योगी भभूतिनाथ ने बताया कि देवी योग माया भगवान कृष्ण जी की बहन थी। उनके अनुसार देश में सिर्फ 3 जगह उनका मंदिर है। एक यहां, दूसरा वृंदावन व तीसरा दक्षिण भारत में एक देवी योग माया का प्राचीन मंदिर है।
मां भद्रकाली मंदिर में माता की आराधना
कुरुक्षेत्र (हप्र) : मां भद्रकाली शक्तिपीठ में मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कुष्माण्डा माता की अराधना की गई। माता की आरती में शंख-नगाड़े, ढोल व मंत्रों की गूंज थी। मां को पंच मेवे का भोग लगाया गया। कुरड़ी के शांति नगर में जय ओंकार आश्रम में चतुर्थ नवरात्र पर मां आदिशक्ति का वार्षिक प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव मनाया गया। मां आदिशक्ति के 108 फुट ऊंचे मंदिर में माता की सवा 7 फुट की प्रतिमा है।