विनोद जिंदल/हप्र
कुरुक्षेत्र, 28 फरवरी
जैसे-जैसे यूक्रेन और रूस का युद्ध तेज हो रहा है, वैसे-वैसे भारतीय छात्रों की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। यूक्रेन में फंसे छात्र-छात्राएं वतन लौटने के लिए बिना खाये-पीये इधर-उधर भटक रहे हैं। भारत में उनके परिजन चिंतित हैं और अपने बच्चों की सुरक्षित वापसी के लिए केंद्र सरकार से गुहार लगा रहे हैं। यूक्रेन में कुरुक्षेत्र के भी 100 विद्यार्थी फंसे हैं, जो वहां एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं।
खारकीव में फंसे एमबीबीएस के 5वें साल में पढ़ रहे रमन बंसल ने टेलीफोन पर बताया कि एक फ्लैट में अपने अन्य दो साथियों के साथ फंसा हुआ है। उनके पास खाने को कुछ नहीं बचा है। बाहर से बमबारी और मिसाइलों की आवाजें आ रही है। डर के मारे बच्चे घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। सड़क पर यूक्रेन के लोग हथियार लेकर घूम रहे हैं, ऐसे में उन्हें बाहर निकलने में डर लग रहा है कि कहीं उन्हें निशाना न बनाया जाए।
उनके साथी उनके पास वीडियो भेज रहे हैं, जिनमें दिख रहा है कि पोलैंड बॉर्डर पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। बच्चों को मारा-पीटा जा रहा है। लड़कियों के बाल नोचे जा रहे हैं। जहां उन्हें जाने के लिए कहा जा रहा है, वहां जाने के लिए उन्हें 30 किलोमीटर पैदल चलना पड़ रहा है। जो दो चेक प्वाइंट तक पहुंचने के लिए कहा जा रहा है, दोनों चेक प्वाइंट तक पहुंचने के लिए कई-कई घंटे पैदल चलना पड़ता है, इसके अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है। इतना पैदल चलने से भूखे प्यासे छात्रों का क्या हाल होगा यह अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
खारकीव में फंसे मुकुल आनंद के पिता सुदर्शन ने कहा कि एबेंसी भी छात्रों की सहायता नहीं कर रही है। जहां बच्चे फंसे हुए हैं वह स्थान पोलैंड के बॉर्डर से 1400 किलोमीटर दूर है। जहां जाना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वहां छात्रों के साथ मानवता नहीं बरती जा रही है। इसलिए छात्र बाहर तक नहीं निकल रहे हैं। कई बच्चों का तो नेट भी समाप्त हो गया है। उनसे संपर्क करना मुश्किल हो रहा है। रमेश और सुनील ने कहा कि वहां उनके बच्चे भूखे हैं।
अभिभावक अपने बच्चों की घर वापसी के लिए सांसद दीपेंद्र हुड्डा, विधायक मेवा सिंह, विधायक सुभाष सुधा, पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा से मिले। सभी नेताओं ने आश्वासन दिया कि वह बच्चों की घर वापसी के लिए पूरा प्रयास करेंगे।