गुरुग्राम, 2 जुलाई (हप्र)
मानेसर जमीन अधिग्रहण के मामले में प्रदेश सरकार के समक्ष कई बार गुहार लगा चुके ग्रामीणों ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से न्याय की उम्मीद जताई है। पांच गांवों के लोगों ने प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में मांग की कि अधिग्रहण के नाम पर हड़पे जा रहे पुश्तैनी मकानों को मुक्त कर शेष जमीन का मार्केट रेट से मुआवजा दिलवाया जाए। इस संबंध में एक ज्ञापन ग्रामीणों ने डीसी यश गर्ग से भेंट कर उन्हें सौंपा।
मानेसर के पूर्व सरपंच ओमप्रकाश यादव के नेतृत्व में डीसी से मिले ग्रामीणों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 668 एकड़ जमीन में से 420 एकड़ जमीन को एचएसआईआईडीसी को सौंपा जा चुका है और इस जमीन का डीम्ड अवार्ड भी घोषित किया जा चुका है। शेष 268 एकड़ जमीन में से करीब 68 एकड़ जमीन पर ग्रामीणों के पुश्तैनी मकान बने हुए हैं और यह जमीन गांवों के अंदर यानी घनी आबादी के बीच पहुंच चुकी है। ऐसे में इस जमीन को पूरी तरह से अधिग्रहण मुक्त किया जाए। अब एचएसआईआईडीसी की ओर से उक्त 268 जमीन के अधिग्रहण के नोटिस चस्पा किए जा रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल है। इसके अलावा नवंबर 2018 में किए गए 420 एकड़ जमीन के डीम्ड अवार्ड में भी करीब 24 एकड़ जमीन ऐसी है जो ग्रामीण आबादी का हिस्सा है और गांव के लोग इसमें मकान बनाकर रह रहे हैं। इसलिए इस जमीन को भी अधिग्रहण के दायरे से बाहर किया जाए। ज्ञापन में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रति के पेज नंबर 35 पर अंकित जमीन का तत्कालीन बाजार भाव साढ़े चार करोड़ माने जाने की ओर इंगित करते हुए ग्रामीणों ने मांग की कि इन्हीं गांवों की जमीन पिछले दिनों एचएसवीपी ने सड़क निर्माण के लिए अधिगृहीत कर इसके बदले 5 करोड़ 42 लाख तथा 7 करोड़ 43 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया है। अतः शेष जिस मीन का अधिग्रहण यदि किया जाए तो मुआवजा राशि इससे बढ़ाकर ही दी जाए।
सरकार पर बिल्डरों की पैरवी का आरोप
ग्रामीणों ने ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया कि जब एचएसआईआईडीसी के तत्कालीन एमडी अनुराग अग्रवाल अधिग्रहण के दायरे में आई आबादी देह का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट में इसका वर्णन कर चुके हैं तो फिर इसे अभी तक अधिग्रहण के दायरे से बाहर क्यों नहीं किया गया। ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार पर बिल्डरों की पैरवी करने का आरोप लगाते हुए ग्रामीणों के साथ साजिश करने की बात भी कही है। डीसी ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि ज्ञापन की प्रति उनकी भावनाओं के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचा दी जाएगी।