सोनीपत, 21 जुलाई (निस)
कुंडली बॉर्डर पर धरनारत किसानों से एक तरफ का रास्ता खुलवाने की मांग को लेकर राष्ट्रवादी परिवर्तन मंच ने आसपास के करीब 30 गांवों के सहयोग से पैदल मार्च निकाला। पुलिस ने रास्ते में ही पैदल मार्च को रोक दिया और आश्वासन देकर वापस लौटा दिया। मंच के सदस्यों ने सरकार व प्रशासन को अब एक माह का अल्टीमेटम दिया है। गुस्साए लोगों ने कहा कि पिछले आठ महीने से वो बेवजह फीस रहे हैं। उनकी रोजगार खत्म हो गया है। उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से जल्द से जल्द रास्ता खोलने की मांग की। कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग को लेकर किसान कुंडली व सिंघु बॉर्डर समेत दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हैं। कुंडली बॉर्डर बंद होने से आसपास के करीब 30 से ज्यादा गांव प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में दिल्ली आवागमन के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-44 पर एक तरफ का मार्ग खुलवाने की मांग को लेकर राष्ट्रवादी परिवर्तन मंच ने कई अन्य संगठनों के साथ मिलकर रास्ता खुलवाने का अभियान छेड़ा हुआ है। पिछले दिनों महापंचायत से भी बात नहीं बनी तो 21 जुलाई को मंच ने सिंघु बॉर्डर तक पैदल मार्च का निर्णय लिया था। ग्रामीणों, प्रतिष्ठानों के संचालक और दुकानदारों ने राजीव गांधी एजुकेशन सिटी से लेकर केएमपी -केजीपी के जीरो प्वाइंट से पैदल मार्च शुरू किया और सिंघु बॉर्डर तक जाने की बात कही। वहीं भारी संख्या में कुंडली बॉर्डर से उठकर किसान भी केएमपी-केजीपी के जीरो प्वाइंट पर जुट गए। किसी भी तरह के टकराव को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर जिला प्रशासन पैदल मार्च को किसानों के धरने तक जाने से रोकने के लिए व्यापक प्रबंध किए थे। केएमपी से पहले 3 जगह बेरिकेड्स लगाए गए व आरएएफ के जवानों समेत भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया। ऐसे में पुलिस ने पैदल मार्च को बीसवां मील से ठीक पहले ही रोक दिया और लोगों को वापस लौटा दिया।
एक माह का अल्टीमेटम
राष्ट्रवादी परिवर्तन मंच के अध्यक्ष हेमंत नांदल ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि कानून व्यवस्था एवं टकराव की स्थिति का हवाला देते हुए प्रशासन द्वारा पैदल मार्च में आने वाले लोगों पर सख्ती की गई, जिससे लोगों में डर पैदा किया गया। साथ ही पैदल मार्च को भारी पुलिस संख्या बल द्वारा बीसवां मील चौक से पहले ही रोक दिया गया। हेमंत नांदल ने कहा कहा कि प्रशासन के आश्वासन पर वे वापस लौट रहे हैं। वे एक माह इंतजार करेंगे। यदि एक तरफ का रास्ता नहीं खुलवाया गया तो वे आसपास के सभी गांवों के मुख्य मार्ग बंद करने का निर्णय ले सकते हैं।
आम जनता को हो रहा नुकसान
सिंघु बॉर्डर पिछले 8 महीने से बंद है। इसके चलते सोनीपत के 35 से अधिक गांव, उद्योग और दुकानें बंद पड़ी है। जिस कारण हजारों लोगों की रोजी रोटी पर असर पड़ रहा है। प्रभावित लोगों ने कहा कि उनके भूखे मरने की नौबत आ गई है। किसानों और सरकार की लड़ाई में वो बेवजह फीस रहे हैं।