हरीश भारद्वाज/हप्र
रोहतक, 20 अक्तूबर
धार्मिक मान्यताओं के चलते मंगलवार शाम को सील की गई भैणी चंद्रपाल गांव की सीमाएं 24 घंटे बाद बुधवार शाम को 6:00 बजे खोल दी गई। इस दौरान ग्रामीणों ने सभी नियमों का पूरी निष्ठा से पालन किया। गांव के बाहर भीतर आने जाने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहा। सीमाएं खुलने के साथ ही ग्रामीण गांव के बाहर भीतर आने जाने लगे। वहीं महम से जुलाना मार्ग पर वाहनों का आवागमन पहले की तरह शुरू हो गया। बुधवार को सुबह मलेरकोटला से लाया गया गंडा (ताबिज) तालाब के घाट पर डाब की रस्सी से बांध दिया गया। सुबह उठते ही ग्रामीणों ने गांव के सभी पशुओं को उस रस्सी के नीचे से निकाला। यह प्रक्रिया शाम के समय भी दोहराई गई। सभी पशुओं पर विशेष रूप से तैयार किए गए जल का छिड़काव किया गया। ग्रामीणों ने अपने अपने पशुओं का दूध मंदिर में पहुंचाया और हवन के बाद मंदिर में खीर बनाई गई। इसके बाद गांव के सभी लोगों ने खीर खाई। पूरा दिन किसी भी घर में चूल्हा जलाकर भोजन नहीं पकाया गया।
इस दौरान हवन अनुष्ठान भी चलते रहे। युवकों की टोलियां ने पूरे गांव में घूम-घूम कर विभिन्न प्रकार की सामग्री से तैयार धूमनी दी।