‘कितने आदर्श हैं माननीयों के गांव’ शृंखला के लिए हमारे संवाददाताओं ने सजगता और संजीदगी से उत्साहपूर्वक काम किया। इस शृंखला के अलावा भी हरियाणा से संबंधित हमारे अब तक उठाए गए अनेक मुद्दों पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार ने संज्ञान लिया और तत्परता से कार्रवाई भी की। यह सजग सरकार का उदाहरण है। हमारी कवरेज पर फौरी नोटिस लिए जाने के लिए हम सरकार के आभारी हैं। जन सरोकारों से जुड़ी हमारी अगली शृंखला की प्रतीक्षा करें।
– संपादक
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
जौड़ी खुर्द, 31 मई
आंखों में सपने अनेक थे और उम्मीद की किरण भी फूटी थी, लेकिन पटौदी हलके के पांच गांवों की तस्वीर जस की तस है। न सपने पूरे हुए और न ही उम्मीदें परवान चढ़ पाईं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ‘प्रणब दा’ द्वारा चलाई जा रही मुखर्जी फाउंडेशन द्वारा इन पांच गांवों को गोद लिया गया। जौड़ी कलां, जौड़ी खुर्द, बांसलाम्बी, ताजनगर और खरकड़ी को स्मार्ट गांव बनाने की कवायद तो शुरू हुई, लेकिन सरकारी सहयोग के बिना यह सिरे नहीं चढ़ पाई।
शुरुआती चरण में फाउंडेशन ने यहां सक्रियता भी बढ़ाई, लेकिन अब उनकी मुहिम ठंडी पड़ती दिख रही है। फाउंडेशन के पदाधिकारी दावा करते हैं कि लोगों की सोच बदली है। गांव की स्थिति लेकिन वैसी ही नजर आती है। कभी एक होने वाला जौड़ी गांव अब दो गांवों – जौड़ी खुर्द और जौड़ी कलां में बंट गया है। दोनों ही गांवों के लोग पानी की समस्या से परेशान हैं। शासन-प्रशासन से सिर्फ भरोसा ही मिला।
जौड़ी खुर्द गांव में नशा भी फैलने लगा है। दोनों गांवों के लिए दसवीं तक का एक ही सरकारी स्कूल है। स्कूल की चारदीवारी कई जगह से टूट चुकी है। बची हुई दीवार पर लोग उपले पाथते हैं। घास-फूस काटने की फुर्सत स्कूल प्रबंधन को नहीं है। कुछ युवा स्कूल प्रागंण में ही बीड़ी-सिगरेट और अन्य नशे का धुआं उड़ाते दिखते हैं। जौड़ी कलां के इंद्रजीत का कहना है कि सरकार कुछ नहीं कर रही।
पहले यह गांव फर्रुख नगर तहसील के तहत आता था। अब पटौदी के अधीन कर दिया है। गांव के लोग अपने कार्यों के लिए पटौदी जाते हैं तो उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया जाता है कि उनके काम फर्रुख नगर में होंगे। फर्रुख नगर से जवाब मिलता है कि अब ये गांव पटौदी में आ चुके हैं। जौड़ी खुर्द के बुजुर्ग रघबीर व सज्जन सिंह ने कहा कि सरकार ने गांव में कोई काम नहीं किया। घूंघट परंपरा को निभाते हुए चंद्रावती परदा करके ही बोलती हैं कि पानी में झाग बहुत है। पीने लायक नहीं है। शिकायत भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पहले ट्यूबवेल से सप्लाई ठीक थी। लोग कहते हैं कि जब से गुरुग्राम से पाइप के जरिये पानी की सप्लाई शुरू हुई है, गांव में बीमारियां बढ़ गई हैं। पशु भी इस पानी को नहीं पी सकते। कुछ लोगों ने गांव में खुद के बोरवेल किए हुए हैं, लेकिन यहां से हर किसी के लिए पानी ले पाना संभव नहीं है। लोग सप्लाई वाले पानी को पीने के लिए मजबूर हैं।
अभी तक गोद लिए 126 गांव
प्रणब मुखर्जी फाउंडेशन ने 126 गांवों को स्मार्ट बनाने के लिए गोद लिया है। इन गांवों में तकनीक, स्वास्थ्य, खुशी, इंसानियत और भाईचारे को बढ़ाने के मूल मंत्र पर काम करने का दावा किया गया। नूंह और गुरुग्राम जिले के 101 गांवों को फाउंडेशन ने गोद लिया हुआ है। प्रणब मुखर्जी जब राष्ट्रपति थे तो सबसे पहले 2016 में गुरुग्राम व नूंह के पांच गांवों – रोजका मेव, दौहला, अलीपुर, हरचंद और ताजनगर को गोद लिया। राजस्थान के अलवर जिले के नौ तथा उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के 16 गांव भी फाउंडेशन ने गोद लिए हुए हैं।