चंडीगढ़/पंचकूला, 6 जुलाई (ट्रिन्यू/हप्र)
हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में भ्रष्टाचार से पर्दा उठने के बाद स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज ने भी बड़ी कार्रवाई की है। विज ने काउंसिल चेयरमैन धनेश अदलखा और वाइस-चेयरमैन सोहन लाल कांसल से सभी अधिकार वापस ले लिए हैं। यह कदम स्टेट विजिलेंस ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई एफआईआर के चलते उठाया है। साथ ही, काउंसिल के रजिस्ट्रार राजकुमार वर्मा के नियुक्ति आदेश को वापस ले लिया है। इतना ही नहीं, विज ने एचसीएस अधिकारी और हेल्थ डिपार्टमेंट के एडिशनल सेक्रेटरी योगेश मेहता को काउंसिल के नियमित कार्यों और वहां चल रही गतिविधियों को मॉनिटर करने का जिम्मा सौंपा है। अदलखा और कांसल के सभी अधिकार और शक्तियां अब मेहता के पास रहेंगी। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग में डिप्टी डायरेक्टर (फार्मेसी) दीपक मलिक को उनके मौजूदा कार्यभार के अलावा काउंसिल के रजिस्ट्रार का अतिरिक्त जिम्मा सौंपा है।
वहीं, स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने दूसरे दिन भी फार्मेसी काउंसिल में छापेमारी जारी रखी। ब्यूरो द्वारा रजिस्ट्रेशन से जुड़ा रिकार्ड खंगाला जा रहा है। बताते हैं कि उन सभी आवेदनों की पड़ताल हो रही है, जो रजिस्ट्रेशन के लिए जमा हुए थे, लेकिन उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं, ऐसे भी बहुत से मामले हैं, जिन पर आवेदन होते ही कार्रवाई हुई है और हाथों-हाथ पंजीकरण किया गया है। आरोप हैं कि इस तरह के रजिस्ट्रेशन पैसे लेकर किए गए।
विजिलेंस ब्यूरो द्वारा काउंसिल के कर्मचारियों ने धनेश अदलखा और सोहन लाल कांसल के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। कांसल व एक दलाल को तो पुलिस अरेस्ट कर चुकी है लेकिन अदलखा अभी तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं। बताते हैं कि उनके फरीदाबाद स्थित ठिकानों पर भी दबिश दी गई, लेकिन वे वहां नहीं मिले। बताते हैं कि काउंसिल के पांच सदस्यों ने पत्र लिखकर इस बाबत सरकार को शिकायत की थी और काउंसिल में चल रहे भ्रष्टाचार के इस खेल के बारे में अवगत करवाया था।
ऐसा कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस पत्र पर कार्रवाई करने की बजाय इसे कचरे में फेंक दिया। अब पूरे मामले से पर्दा उठने के बाद यह पत्र भी वायरल हो रहा है। दो पेज के इस पत्र में काउंसिल के पांचों सदस्यों के हस्ताक्षर भी हैं। बताते हैं कि इन सदस्यों ने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से भी मुलाकात की थी। विज काउंसिल के मामले पर पहले भी कार्रवाई करने के लिए लिख चुके हैं लेकिन कोई गंभीर कार्रवाई इस पर नहीं हुई।
चिट्ठी में किया था खुलासा
50 से 80 हजार रुपये लेकर हो रहे थे काउंसिल में रजिस्ट्रेशन
हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल के सदस्यों की जो चिट्ठी अब सामने आई है, उसमें उन्होंने लगभग तीन महीने पहले साफ कर दिया था कि काउंसिल में रजिस्ट्रेशन के लिए 50 से 80 हजार रिश्वत वसूली जा रही है। पत्र लिखने वाले सदस्यों में रविंद्र चोपड़ा, पूर्व रजिस्ट्रार एवं सदस्य अरुण पराशर, सुरेंद्र सालवान, पंचकूला सेक्टर-10 निवासी भाजपा नेता बीबी सिंघल, पूर्व प्रधान कृष्ण चंद गोयल के नाम बताए जा रहे हैं। इस चिट्ठी में सीधे तौर पर रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट्स पर हस्ताक्षर करने वाले काउंसिल चेयरमैन धनेश अदलखा की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। चिट्ठी में कहा गया था अदलखा ने पूरे काउंसिल कार्यालय को अपने कब्जे में ले रखा है। कोई भी कर्मचारी उनकी इजाजत के बिना एक भी फाइल प्रोसेस नहीं करता। काउंसिल में आने वाली डाक, डायरी से लेकर नई रजिस्ट्रेशन एवं रिन्यूअल का पूरा काम अदलखा ने दो महिला कर्मचारियों को सौंपा हुआ है। यह भी आरोप थे कि ये महिलाएं काउंसिल के किसी भी सदस्य की बात नहीं सुनती और जब भी उनसे किसी फाइल के बारे में पूछा जाता है, तो एक ही जवाब मिलता है कि अदलखा से बात करो। इन सदस्यों ने स्वास्थ्य एवं गृहमंत्री अनिल विज से भी मुलाकात की थी।
अदलखा और कांसल ही करते थे बैंक आपरेट
काउंसिल सदस्यों – अरुण पराशर, बीबी सिंघल, केसी गोयल, रविंद्र चोपड़ा व सुरेंद्र सालवान ने यह भी कहा था कि धनेश अदलखा को हरियाणा राज्य फार्मेसी परिषद के सदस्य के रूप में नामित होने के बाद 17 मार्च, 2020 के बाद अध्यक्ष के रूप में अधिसूचित नहीं किया गया। ऐसे में वे तब से अध्यक्ष के रूप में अवैध तौर पर काबिज हैं। सोहन लाल को राज्य द्वारा 6 मार्च, 2019 के बाद न तो अध्यक्ष के रूप में और न ही उपाध्यक्ष के रूप में अधिसूचित किया गया था। हरियाणा राज्य फार्मेसी परिषद नियम 1951 (नियम 141) के अनुसार, बैंक चेक पर हस्ताक्षर अध्यक्ष या और रजिस्ट्रार करते हैं, लेकिन धनेश अदलखा ने यह पावर रजिस्ट्रार की बजाय अपने और सोहन कांसल के पास ही रखी हुई थी। रजिस्ट्रार को फार्मेसी अधिनियम और हरियाणा राज्य फार्मेसी परिषद नियम 1951 के अनुसार कार्य करने की अनुमति नहीं दी।
2019 से 2020 तक बड़ी अनियमितताएं बरती
2019 से 2020 तक यानी 18 महीनों तक उन छात्रों का कोई पंजीकरण नहीं हुआ, जो हरियाणा राज्य के बाहर से बारहवीं/फार्मेसी उत्तीर्ण हैं। आवेदकों के कई आवेदनों के बावजूद 2019 से नए पंजीकरण के लिए कई आवेदन लंबित हैं, इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कई बार आवेदकों को बिना कोई कारण बताए आवेदन प्राप्त करना बंद कर दिया, उन्हें परेशान किया जाता रहा। इस प्रकार नौकरियों के लिए कीमती समय और अवसरों को खो दिया। आरोप हैं कि अदलखा अपनी मर्जी से कार्यालय चलाते थे। कई सीएम विंडो पर शिकायतें दर्ज की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया।
सरकारी संरक्षण में हुआ पूरा खेल : अभय
इनेलो प्रधान महासचिव एवं विधायक अभय सिंह चौटाला का कहना है कि फार्मेसी काउंसिल में पैसे लेकर पंजीकरण करने का खेल सरकारी संरक्षण में चल रहा था। काउंसिल के प्रधान धनेश अदलखा के खिलाफ रिश्वत लेने की सैकड़ों शिकायतें आने के बाद भी कार्रवाई नहीं की, इससे स्पष्ट है कि अदलखा को सरकार का संरक्षण प्राप्त था। अदलखा फरार है, उसे अभी तक पुलिस पकड़ नहीं पाई है।
जनता को दिखाया भ्रष्ट सरकार का चेहरा : आप
बिना खर्ची-पर्ची लोगों के काम करने का नारा देने वाली भाजपा सरकार का भ्रष्ट चेहरा जनता के सामने आ चुका है। फार्मेसी घोटाले में शामिल धनेश अदलखा ने मुख्यमंत्री के करीबी होने का फायदा उठाकर करोड़ों रुपए की चपत लगाई है। आप के प्रदेश प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता ने कही। उन्होंने कहा कि सरकार का भ्रष्ट चेहरा सबके सामने आ गया है।