विज छोड़ सकते हैं स्वास्थ्य विभाग, सीएम की राज्यपाल से मुलाकात
दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 6 दिसंबर
हरियाणा में सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) और स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री अनिल विज के बीच चल रहा गतिरोध आने वाले कुछ दिनों में खत्म हो सकता है। अब इस बात की संभावना बढ़ गई है कि विज स्वास्थ्य विभाग छोड़ सकते हैं। उन्होंने इस तरह के संकेत देने भी शुरू कर दिए हैं। दो महीनों से भी अधिक समय से विज ने स्वास्थ्य विभाग का काम छोड़ा हुआ है। इस गतिरोध के बीच बुधवार को सीएम मनोहर लाल ने राजभवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात की। करीब पंद्रह मिनट की इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है। बुधवार को संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ़ भीमराव अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस भी था। इस उपलक्ष्य में राजभवन में कार्यक्रम भी आयोजित हुए। लेकिन जिस तरह से प्रदेश में एकाएक राजनीतिक गतिविधियां बढ़ी हुई हैं, उससे इस मुलाकात को सामान्य नहीं माना जा रहा।
तीन राज्यों– मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के बाद हरियाणा मंत्रिमंडल में बदलाव की खबरें हैं। सीएम की राज्यपाल से मुलाकात के बाद इन अटकलों को और बल मिला है।
बुधवार को ही यहां हरियाणा निवास में सीएम ने चार जिलों– रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, भिवानी और चरखी दादरी के मंडल अध्यक्षों, जिलाध्यक्षों व जिला प्रभारियों के साथ अहम बैठक की। ये चारों जिले राजस्थान की सीमा से सटे हैं। मिशन-2024 को लेकर सीएम ने बैठकों का सिलसिला शुरू किया है। इसके तहत ही मंगलवार रात उनके आवास पर संघ और संगठन के अहम नेताओं की बड़ी बैठक हुई थी। इस बैठक में आगामी लोकसभा व विधानसभा चुनाव पर चर्चा हुई। साथ ही, प्रदेश में चल रहे भाजपा-जजपा गठबंधन, कैबिनेट में प्रस्तावित फेरबदल सहित कई अहम मुद्दों पर मंत्रणा हुई। पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी बिप्लब कुमार देब सहित संघ के कई वरिष्ठ नेता इस बैठक में मौजूद रहे। बिप्लब कुमार देब ने चंडीगढ़ में ही डेरा डाला हुआ है। बुधवार सुबह कई विधायकों ने उनसे मुलाकात की। भाजपा गलियारों में चर्चा है कि कैबिनेट को लेकर जल्द ही फैसला हो सकता है।
सदन में जवाब न देने का संकेत दे चुके हैं स्वास्थ्य मंत्री
15 दिसंबर से हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इस दौरान पक्ष व विपक्ष के विधायकों द्वारा स्वास्थ्य विभाग को लेकर सवाल भी पूछे जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री विज पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वे किसी भी सवाल का जवाब सदन में नहीं देंगे। अगर ऐसा कुछ होता है तो सदन में सरकार की फजीहत हो सकती है। ऐसे में बहुत संभव है कि इस तरह की घटना होने से पहले ही स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा भी सीएम के पास ही आ जाए। गौर हो कि सीएमओ के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा बिना विश्वास में लिए स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक करने से विज नाराज हैं। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व विवाद के तुरंत समाधान के पक्ष में है।