उपराष्ट्रपति ने शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर में की पूजा-अर्चना
उन्होंने कहा कि यह पवित्र स्थान हजारों वर्षों से इस स्थान के रूप में पूजनीय है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद् गीता का दिव्य ज्ञान प्रदान किया था। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र हमेशा याद दिलाता है कि धर्म अंततः अधर्म पर विजय प्राप्त करता है, चाहे अधर्म कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो।गीता जयंती महोत्सव की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में एक वैश्विक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव के रूप में यह महोत्सव विकसित हुआ है।
इसके लिए उन्होंने हरियाणा सरकार विशेषकर हरियाणा के मुख्यमंत्री की प्रशंसा की। उन्होंने महोत्सव की सराहना करते हुए इसे एक ऐसा मंच बताया जो सदियों से भारत को जीवित रखने वाले मूल्यों - धर्म, कर्तव्य, आत्मानुशासन और उत्कृष्टता की खोज को सुदृढ़ करता है। उन्होंने कहा कि ये मूल्य प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा व्यक्त आत्मनिर्भर भारत और 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण की नींव हैं। उपराष्ट्रपति ने कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड और गीता ज्ञान संस्थान द्वारा आयोजित सम्मेलन की भी सराहना की।
इससे पहले उपराष्ट्रपति ने यहां स्थित एतिहासिक हरियाणा के एकमात्र शक्तिपीठ मां भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर में मां की पूजा-अर्चना की। माथा टेका। देशवासियों की सुख-समृद्धी की कामना की। परंपरा अनुसार विशेष पूजा के साथ परिक्रमा करके चांदी के घोड़े मां भद्रकाली के चरणों में अर्पित किए। इस दौरान अर्जुनकृत मंत्रों का जाप किया गया। पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल ने माता की मां शब्दाक्षर को दर्शाते हुए लाल शक्ति चुनरी, चांदी मुकुट व पुष्प माला से उपराष्ट्रपति को आशीर्वाद दिया। उन्होंने उपराष्ट्रपति को पूजा के लिए मां भद्रकाली जी का सिद्ध अष्ठाधातु अष्ठाभुजा स्वरूप भी प्रदान किया। शक्तिपीठों के प्रतीक के रूप में अभिमंत्रित शक्ति त्रिशूल भी भेंट किया गया। पूजन भी किया गया। कमल पुष्प अर्पित किए गए। इस अवसर पर काफी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।
