रोहतक, 18 दिसंबर (हप्र)
दिल्ली-एनसीआर तथा रोहतक में वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर चिंता का विषय है। वाहनों, फैक्टरियों, ईंट-भठ्ठे के धुएं के साथ-साथ अंधाधुंध कंस्ट्रक्शन कार्य हमारे वातावरण को दूषित कर रहे हैं।
यह उद्गार एनईईआरआई, सीएसआईआर, नई दिल्ली के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सुनील गुलिया ने आज महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा-एयर क्वालिटी मैनजमेंट इन दिल्ली एनसीआर: चैलेंज्स एंड पॉसिबल साल्यूशन्ज विषय पर आयोजित विस्तार व्याख्यान कार्यक्रम में बतौर विशेषज्ञ वक्ता व्यक्त किए। करियर काउंसलिंग एवं प्लेसमेंट सेल के सहयोग से इस व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डा. सुनील गुलिया ने कहा कि पराली का धुआं वायु प्रदूषण का केवल 3 प्रतिशत ही है, जबकि निर्माणाधीन भवनों में प्रयुक्त होने वाली रेती, बजरी, सीमेंट व मिट्टी वायु प्रदूषण के मुख्य तौर पर जिम्मेदार कारक हैं। उन्होंने कहा कि बेशक एनसीआर में कंस्ट्रक्शन कार्यों पर रोक लगा दी गई है, लेकिन कंस्ट्रक्शन का सामान खुले में पड़ा है, जिसके कण वायु में घुल कर वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कंस्ट्रक्शन का सामान खुले में न पड़ा रहे, इस पर भी सरकार द्वारा पॉलिसी बनाए जाने की जरूरत है। पर्यावरण विज्ञान विभाग की अध्यक्षा प्रो. राजेश धनखड़ ने प्रारंभ में स्वागत भाषण दिया तथा व्याख्यान की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। सीसीपीसी की विभागीय समन्वयिका डा. रचना भटेरिया ने कार्यक्रम का संचालन किया।