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रानी पिंगला के माध्यम से दिखाए त्रिया चरित्र के अनेक रूप

हिसार, 2 सितंबर (हप्र) रानी पिंगला अपने प्रेमी दारोगा के साथ महल में अकेली है जिसे उसका देवर विक्रमादित्य देख लेता है। पिंगला उसे अपने त्रिया चरित्र से धमकाने, डराने की कोशिश करती है लेकिन विक्रमादित्य इस बात को अपने...
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हिसार में सोमवार को आयोजित स्वांग में अपनी अदाकारी दिखाते डॉ. सतीश कश्यप व उनकी टीम।-हप्र
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हिसार, 2 सितंबर (हप्र)

रानी पिंगला अपने प्रेमी दारोगा के साथ महल में अकेली है जिसे उसका देवर विक्रमादित्य देख लेता है। पिंगला उसे अपने त्रिया चरित्र से धमकाने, डराने की कोशिश करती है लेकिन विक्रमादित्य इस बात को अपने बड़े भाई राजा भर्तृहरि को बता देता है जिस पर राजा पिंगला के पास आता है लेकिन रानी पिंगला राजा भर्तृहरि के सामने अपने त्रिया चरित्र से विक्रमादित्य पर ही इल्जाम लगाती है कि विक्रमादित्य की उस पर बुरी नजर है। इसे साबित करने के लिए वह नगर सेठ को भी झूठा गवाह बना लेती है जिसे राजा मान भी लेता है और राजा विक्रमादित्य को फांसी दे देते हैं लेकिन बाद में राजा को रानी पिंगला की असलियत का पता चलता है तो राजा उसे छोड़कर संन्यास की राह पर निकल पड़ते हैं। यह कहानी सुनने में तो सामान्य लगती है लेकिन जब इसके एक-एक किरदार को डॉ. सतीश कश्यप व उनकी टीम ने निभाया तो वहां पर इस पूरी कहानी का सजीव चित्रण हो गया और इसका एक-एक किरदार मुंह से बोल रहा था। डॉ. सतीश कश्यप वर्ष 1990 से स्वांग की कला को हरियाणा में पुनर्जीवित करने में लगे हुए हैं।

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मांगेराम लिखित स्वांग ‘त्रिया चरित्रम’ का मंचन डीसी कॉलोनी स्थित जोरबा थियेटर में किया गया। दर्शकों सें खचाखच भरे जोरबा थियेटर में डॉ. सतीश कश्यप व साथी कलाकारों ने जो समां बांधा, उससे तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा हॉल गूंज उठा। डॉ. सतीश कश्यप ने अपनी मंझी हुई अदाकारी से स्वांग में राजा भर्तृहरि, विक्रमादित्य, दारोगा और नगर सेठ के किरदार निभाए। डॉ. सतीश कश्यप ने बताया कि जल्द ही उनका एक और स्वांग आने वाला है।

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