Tribune
PT
About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

पुण्यतिथि पर मोहम्मद रफी के गीतों से गूंजा वानप्रस्थ

हिसार, 31 जुलाई (हप्र) वानप्रस्थ सीनियर सिटीजन क्लब में बुधवार को सिनेमा जगत के महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफी की 44वीं पुण्यतिथि मनाई गई और उन्हें उन्हीं के गीतों द्वारा याद किया गया। मंच का संचालन करते हुए वीना अग्रवाल...
  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
हिसार के वानप्रस्थ सीनियर सिटीजन क्लब में बुधवार को मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित सदस्य।-हप्र
Advertisement

हिसार, 31 जुलाई (हप्र)

वानप्रस्थ सीनियर सिटीजन क्लब में बुधवार को सिनेमा जगत के महान पार्श्व गायक मोहम्मद रफी की 44वीं पुण्यतिथि मनाई गई और उन्हें उन्हीं के गीतों द्वारा याद किया गया। मंच का संचालन करते हुए वीना अग्रवाल ने उनके जीवन से जुड़ी हुई कई यादें एवं

Advertisement

किस्से सुनाए।

डॉ. आरडी शर्मा ने बताया कि रफी साहब का जन्म अमृतसर के एक छोटे से गांव कोटला सुल्तानपुर में हुआ। रफी जब महज 7 साल के थे तो उनका परिवार काम के सिलसिले में लाहौर चला गया। मोहम्मद रफी के बड़े भाई लाहौर में नाई की दुकान चलाते थे। वह बचपन में ही वारिस शाह हीर गाया करते थे। बाद में वह लाहौर से मुंबई आ गए। उन्होंने 105 पंजाबी फिल्मों में 262 गीत गाए। डॉ. डांग ने बताया कि लगभग 44 वर्ष के संगीत जीवन के बाद 56 वर्ष की अल्पायु में इस संसार को अलविदा कह गए। उन्होंने 2500 से भी ज्यादा गीत गाए।

संगीत का शुभारंभ गायक डॉ. आरके सैनी ने अपनी सधी हुई आवाज में तक़दीर फि़ल्म का यह प्रसिद्ध गीत जब जब बहार आई और फूल मुस्कुराए, मुझे तुम याद आए गाये। इस पर हाल तालियों से गूंज उठा। डॉ. पुष्पा खरब ने तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे, जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे, गीत गाकर सब का मन लूट लिया। क्लब के जाने माने कलाकार डॉ. एसएस धवन ने अपनी सुरीली आवाज़ में इक हसीन शाम को दिल मेरा खो गया, पहले अपना हुआ करता था गीत गाया जिसे सदस्यों ने बहुत सराहा।

क्लब के नए सदस्य डॉ. रमेश हुड्डा ने हुस्न वाले तेरा जवाब नहीं, कोई तुझ-सा नहीं हजारों में गीत गाकर सबका दिल जीत लिया वहीं योगेश सुनेजा ने अपने समय का मशहूर गीत मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की कसम, फिर मुझे नरगिसी आंखों का सहारा दे दे, पेश कर पुरानी यादें ताजा कर दी।

कार्यक्रम को समापन की और ले जाते हुए वीना अग्रवाल ने दिल को छू जाने वाला मर्मस्पर्शी गीत ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया गाकर सब को द्रवित

कर दिया।

Advertisement
×