सुरेंद्र मेहता/हप्र
यमुनानगर, 23 जुलाई
किसानों को सब्सिडी वाले यूरिया का प्लाईवुड फैक्ट्रियों में धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। हरियाणा में एक हजार के लगभग प्लाईवुड फैक्ट्री हैं, इन प्लाईवुड फैक्ट्रियों में भारी मात्रा में यूरिया का इस्तेमाल होता है। इन फैक्ट्रियों में वैसे तो टेक्निकल ग्रेड यूरिया का इस्तेमाल होना चाहिए, लेकिन फैक्ट्री प्रबंधक अधिक फायदे के लिए खेती में इस्तेमाल होने वाले यूरिया का प्रयोग कर रहे हैं। हरियाणा में पिछले लंबे समय से किसान यूरिया की उपलब्धता के लिए पुलिस की लाठियां तक खाते हैं। जगह-जगह जाम लगता है, प्रदर्शन किए जाते हैं। आरोप लगता है कि यूरिया कम मिल रहा है। लेकिन जो तथ्य सामने आए हैं, उससे साफ होता है कि किसानों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला यूरिया भारी मात्रा में प्लाईवुड फैक्ट्रियों में चला जाता है।
प्लाईवुड फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाले किसानों को सब्सिडी वाले यूरिया के मामलों में जहां किसानों की खाद बेचने वाले डीलर, डिस्ट्रीब्यूटर शामिल हैं, वहीं किसान भी अपने फायदे के लिए यह यूरिया सस्ते में लेकर ब्लैक में फैक्ट्री मालिकों को बेचते हैं। यमुनानगर में जहां 500 के लगभग प्लाईवुड फैक्ट्रियां हैं, जहां हर साल लाखों क्विंटल यूरिया इस्तेमाल होता है। यमुनानगर में 20 मई को नेशनल फर्टिलाइजर की टीम द्वारा एक साथ कई फैक्ट्रियों में छापेमारी की गई थी। इस दौरान फैक्ट्री मालिकों ने मजदूरों को आगे करके इसका विरोध भी किया था। जिसके बाद छह फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ केस दर्ज कराए गए थे। इसी दौरान अलग-अलग फैक्ट्रियोंं से 6 सैंपल टेक्निकल ग्रेड यूरिया के भरे गए थे, जिन्हें फरीदाबाद लैब में भेजा गया था। उनमें से 2 सैंपल की रिपोर्ट में यूरिया खेती के लिए इस्तेमाल होने वाला पाया गया है।
कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. जसविंदर सिंह सैनी का कहना है कि दो फैक्ट्रियों नीलगिरी प्लाईवुड व ग्लोबल प्लाईवड के सैंपल फेल पाए गए हैं। जिसमें खेती में प्रयोग होने वाला यूरिया पाया गया है। उन्होंने बताया कि आज भी नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड की टीम द्वारा यमुनानगर के कई इलाकों में पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी की गई। इस दौरान 11 फैक्ट्रियों से 16 सैंपल लिए गए हैं। जो फरीदाबाद भेजे गए हैं। पिछले कुछ दिनों में इस तरह के मामलों में 8 मुकदमे दर्ज कराए गए हैं, जबकि 4 डीलरों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं और 20 डीलरों के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि समय-समय पर डिस्ट्रीब्यूटर, डीलर के रिकार्ड चेक किए जाते हैं। किसानों को कितना यूरिया दिया गया उसकी काउंटर चेकिंग की जाती है। लेकिन इसके बावजूद इस तरह के मामले सामने आते हैं।
खेती के लिए प्रयुक्त यूरिया और टेक्निकल ग्रेड यूरिया में अंतर
किसान को यूरिया का एक कट्टा 267 रुपए 50 पैसे में मिलता है, जिसमें लगभग 800 रुपए की सब्सिडी होती है। वहीं प्लाईवुड फैक्ट्रियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाले टेक्निकल ग्रेड यूरिया की कीमत 4600 से 4700 रुपए प्रति बैग है। दोनों में रेट में भारी अंतर है। इसी के चलते जहां प्लाईवुड फैक्ट्री मालिक किसानों का यूरिया फैक्ट्रियों में इस्तेमाल करते हैं, जिससे सरकार को भी हर वर्ष करोड़ों रुपए की आर्थिक क्षति होती है। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से जहां सब्सिडी का प्रावधान है, वहीं किसानों द्वारा इसका अनुचित लाभ भी उठाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जब से केंद्र सरकार की टीमों द्वारा छापेमारी की गई है, उसके बाद प्लाईवुड फैक्ट्री में इस्तेमाल होने वाले टेक्निकल ग्रेड यूरिया की सेल में 25 से 30% का इजाफा हुआ है। कुछ महीने पहले पंजेटो इलाके में एक गोदाम पर छापा मारकर पुलिस व कृषि विभाग ने 1500 कट्टे यूरिया के बरामद किए थे। इस गोदाम को सील कर दिया गया था, लेकिन उसमें से 300 से अधिक कट्टे गायब कर दिए गए। इस मामले में एसआईटी का गठन किया गया था। एक पुलिस अधिकारी को निलंबित भी किया गया था। लेकिन उसके बाद जांच व कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाल दी गई।