यूपीएस सरकारी कर्मचारियों से एनपीएस से भी बड़ा धोखा : दीपेन्द्र हुड्डा
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि यूपीएस और एनपीएस कर्मचारी विरोधी स्कीम हैं और यूपीएस तो सरकारी कर्मचारियों के साथ एनपीएस से भी बड़ा धोखा है। उन्होंने कहा कि यूपीएस में फुल पेंशन के लिए 25 साल की सर्विस पूरी होने की सीमा कर्मचारियों के साथ सबसे बड़ा विश्वासघात है। न्यू पेंशन स्कीम और यूपीएस कभी कर्मचारियों की मांग नहीं रही, पहले एनपीएस और अब यूपीएस को जबरदस्ती थोपा जा रहा है। दीपेन्द्र हुड्डा ने यूपीएस के विरोध में एक अगस्त को कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन को अपना पूर्ण समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि इसका बड़ा नुकसान अर्द्धसैनिक बल के कर्मचारियों को होगा। क्योंकि, जो जवान 25 साल की सर्विस से पहले रिटायरमेंट लेंगे उन्हें भारी नुकसान उठाना होगा। क्योंकि, यूपीएस में बेसिक सैलरी का 50 प्रतिशत पेंशन के लिए 25 साल की सर्विस पूरी होने की सीमा तय कर दी गई है। ऐसे में उन्हें केवल 10 हजार की मामूली पेंशन ही मिलेगी। देश व प्रदेशभर में कर्मचारी चाहते हैं कि पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि जब एनपीएस को लागू किया गया तो इसे ओपीएस से बेहतर बताया गया था, अब यूपीएस को ज्यादा बेहतर बताकर प्रचारित किया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि केंद्र सरकार के तहत आने वाले 30 लाख कर्मचारियों में से अब तक केवल 20 हजार कर्मचारियों ने ही यूपीएस का विकल्प चुना है। इससे स्पष्ट होता है कि कर्मचारियों की मांग एनपीएस और यूपीएस नहीं केवल ओपीएस है। सरकार जबरदस्ती कर्मचारियों पर यूपीएस थोप रही है। यह स्कीम पेंशन स्कीम न होकर एक पेआउट स्कीम है। पेआउट के तहत एकमुश्त राशि जमा करवाने या निवेश करने पर प्राप्त लाभ का भुगतान होता है। कर्मचारियों से पुरानी पेंशन स्कीम छीनकर भाजपा सरकार ने उनकी सामाजिक सुरक्षा को ही छीन लिया है।