छछरौली, 18 अप्रैल (निस)
हथनी कुंड बैराज पर यमुना नदी का जल बहाव सिमट कर मात्र 1502 क्यूसेक रह गया है। मार्च-अप्रैल के दिनों में जल बहाव कम होने की ऐसी नाजुक स्थिति पहले कभी नहीं रही। नदी जल की उपलब्धता कम हो जाने के कारण कृषि सिंचाई व पेयजल के लिए संकट खड़ा हो गया है।
जिन क्षेत्रों में कृषि केवल यमुना जल पर ही आधारित है उनके लिए सिंचाई की विकट स्थिति पैदा हो गई है। नदी में पानी की उपलब्धता कम हो जाने के कारण हाइडल प्रोजेक्ट की आठ में से चार यूनिट बंद हो
गई हैं।
जल बहाव कम हो जाने के कारण हथनी कुंड बैराज पर यमुना नदी एक नाले का रूप ले चुकी है। सिंचाई विभाग के हथनीकड कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक नदी जल की ऐसी विकट स्थिति कभी नहीं रही।
सिंचाई विभाग के कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक हथनी कुंड बैराज पर रविवार शाम 7 बजे नदी का जल बहाव केवल मात्र 1502 क्यूसिक रहा। नदी में पानी की उपलब्धता कम हो जाने के कारण शाम 7 बजे से 9 बजे तक उत्तर प्रदेश की पूर्वी यमुना नहर की जल आपूर्ति ठप रही। सोमवार दोपहर 2 बजे जल बहाव 2250 क्यूसेक था।
सिंचाई विभाग के हथनीकुंड कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक 2250 क्यूसेक पानी में से दिल्ली को 761 क्यूसेक पानी की आपूर्ति की जा रही है। हरियाणा के हिस्से केवल 935 क्यूसेक पानी ही मिल पा रहा है। यूपी की पूर्वी नहर में सोमवार को 177 क्यूसेक पानी छोड़कर आपूर्ति बहाल की गई।
हाइडल प्रोजेक्ट के लिए 5400 क्यूसेक पानी जरूरी
प्रदेश की सबसे बड़ी हाइडल परियोजना भूडकलां में 64.2 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता की 8 यूनिट स्थापित की गई हैं। सभी 8 यूनिट को चलाने के लिए 5400 क्यूसेक पानी की जरूरत पड़ती है। नदी में पानी की उपलब्धता कम हो जाने के कारण हाइडल लिंक चैनल को केवल 1696 क्यूसेक पानी की आपूर्ति ही मिल पा रही है। इस कारण से हाइडल प्रोजेक्ट की 8 यूनिट में से केवल 4 यूनिट कार्य कर रही हैं। यमुना नदी कैचमेंट एरिया के ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में सर्दी के दिनों में बर्फबारी के चलते पानी की मात्रा अकसर घट कर न्यूनतम बिंदु पर पहुंच जाती है, लेकिन गर्मी के दिनों में ऐसी स्थिति कभी नहीं रही।