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डेढ़ साल से डॉक्टर की बाट जोह रही अल्ट्रासाउंड मशीन

खुद के इलाज को तरस रहा सोनीपत का सिविल अस्पताल

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सोनीपत के सिविल अस्पताल में एक कमरे में पैक पड़ी अल्ट्रासाउंड मशीन। -हप्र
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हरेंद्र रापड़िया/हप्र

सोनीपत, 2 जुलाई

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चिकित्सा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे, हकीकत की जमीन पर हवा हो जाते हैं। आज बात कर रहे हैं सोनीपत के सिविल अस्पताल की। कई समस्याओं से ग्रस्त यह अस्पताल अपने ही इलाज की बाट जोह रहा है।

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विशेषज्ञ चिकित्सक के करीब डेढ़ साल पहले तबादला होने के बाद से अस्पताल की एकमात्र अल्ट्रासाउंड मशीन एक कोने में पैक पड़ी है। एक्सरे मशीन औसतन महीने में 5-7 दिन खराब रहती है। ऐसे में गरीब मरीजों को बाहर से अल्ट्रासाउंड व एक्सरे कराने की अच्छी-खासी रकम चुकानी  पड़ती है।

सिविल अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 1500-1600 लोग आते हैं। छुट्टी के अगले दिन यह संख्या दो हजार से अधिक हो जाती है। मौसमी बीमारियों के दौरान संख्या और बढ़ जाती है। प्रतिदिन 50-60 मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए आना होता है, लेकिन करीब डेढ़ साल पहले डॉ. रीटा गोयल का तबादला होने के बाद अस्पताल प्रशासन ने अल्ट्रासाउंड मशीन को पैक कराकर एक कोने में रखवा दिया है। ऐसे में मरीजों को बाहर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए 1000 से 1300 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं।

ईएनटी और त्वचा रोग विभाग में अक्सर ताला : सिविल अस्पताल में त्वचा रोग विभाग में डॉ. राजेश सिंघल और ईएनटी में डॉ. प्रदीप लाकड़ा इकलौते चिकित्सक हैं। उनके छुट्टी पर होने, जेल, वीआईपी ड्यूटी या कोर्ट में जाने पर इन विभागों पर ताला लटक जाता है। किराया-भाड़ा खर्च करके अपनी दिहाड़ी छोड़ जब किसी गरीब को यहां ताला लटका मिलता है तो उसकी बेबसी का अंदाजा लगाया जा सकता है।

एक्सरे सुविधाओं का भी नहीं भरोसा

अस्पताल में एक्सरे के लिए रोजाना औसतन 80-90 मरीज पहुंचते हैं। यहां दो नयी बड़ी और एक पोर्टेबल एक्सरे मशीन है। इनसे कैसेट रिकॉर्डर जुड़ा है जो इमेज दिखाता है। करीब डेढ़ दशक पुराना यह रिकॉर्डर कभी भी गच्चा दे जाता है। इसकी रिपेयर में इसकी कुल कीमत से ज्यादा खर्च किया जा चुका है। नये कैसेट रिकॉर्डर अस्पताल में आ चुके हैं, मगर ई-उपचार से न जुड़ पाने के कारण अभी काम शुरू नहीं हुआ। अभी भी 26 जून से सिविल अस्पताल में एक्सरे सुविधा ठप पड़ी है। ऐसे में मरीजों को बाहर से एक्सरे कराने में सैकड़ों रुपये देने पड़ते हैं। गनीमत है कि एक मशीन ने पहली जुलाई को काम शुरू कर दिया है।

फोरेंसिक विशेषज्ञ नहीं, दूसरे डॉक्टरों के हवाले मोर्चरी

सिविल अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए फोरेंसिक विशेषज्ञ का पद खाली पड़ा है। ऐसे में मोर्चरी की जिम्मेदारी अन्य चिकित्सकों के कंधों पर है। इसके लिए रोस्टर बनाकर चिकित्सकों की डयूटी लगाई जाती है। सुविधाएं न होने के कारण पोस्टमार्टम के लिए शवों को मेडिकल कॉलेज, खानपुर कलां रेफर किया जाता है।

'' सिविल अस्पताल में चिकित्सकों की कमी को लेकर एसोसिएशन समय-समय पर आवाज उठाती रहती है। चिकित्सकों की पर्याप्त संख्या होगी तभी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आ पाएगा। ''

डॉ. राहुल आंतिल, जिला प्रधान- हरियाणा सिविल

मेडिकल सर्विस, सोनीपत

'' नेशनल हेल्थ मिशन स्कीम के तहत प्रदेश के अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड के लिए बाहर से प्राइवेट विशेषज्ञों को अनुबंध पर रखने के लिए निर्देश जारी किये गये हैं। सोनीपत में निर्देश पहुंचे या नहीं, चेक करवाते हैं। एक्सरे मशीनों के प्रभारी को दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। अन्य समस्याओं को लेकर प्रभारी डॉयरेक्टर से बातचीत करेंगे। ''

डॉ. रणदीप पूनिया, महानिदेशक- स्वास्थ्य सेवाएं-1

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