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तुलसी शालिग्राम विवाह का भव्य आयोजन बालाजी मंदिर में 12 नवंबर को

नारनौल, 22 अक्तूबर (हप्र) स्थानीय बहरोड़ मार्ग स्थित प्रसिद्ध कडिया वाले बालाजी मंदिर के पुजारी नरेंद्र शर्मा ने बताया कि 12 नवंबर को मंदिर प्रांगण में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा। उक्त कार्यक्रम के लिए तुलसी विवाह के लिए...
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नारनौल, 22 अक्तूबर (हप्र)

स्थानीय बहरोड़ मार्ग स्थित प्रसिद्ध कडिया वाले बालाजी मंदिर के पुजारी नरेंद्र शर्मा ने बताया कि 12 नवंबर को मंदिर प्रांगण में तुलसी विवाह का आयोजन किया जाएगा। उक्त कार्यक्रम के लिए तुलसी विवाह के लिए करीब 3 साल से बद्रीनाथ के धाम पर चक्कर लगा रहे थे। आखिर भगवान बद्रीनाथ के आशीर्वाद से वहां के मुख्य पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी व अन्य पुजारी गणों ने सर्वसम्मति से तुलसी विवाह को स्वीकार किया।

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उन्होंने बताया कि नारनौल शहर के लिए सौभाग्य की बात है जो भगवान बद्रीनाथ जी स्वयं शालिग्राम रूप में नारनौल नगरी में पधारेंगे। बारात बद्रीनाथ धाम से 10 नवंबर को चलकर 11 नवंबर को सायं 6 बजे सेठ दुलीचंद की धर्मशाला पार्क गली में पहुंचेगी। जहां शहर के गणमान्य व्यक्तियों द्वारा भगवान शालिग्राम सहित पूरी बारात का स्वागत किया जाएगा। 12 नवंबर को भगवान की बारात सुबह 10 बजे धर्मशाला से प्रारंभ होगी जिसमें नारनौल के बैंड व भिवानी की ताशा पार्टी भगवान के रथ में प्रतिमा व बद्रीनाथ धाम जोशीमठ से पधारे मेहमान गण शहर के प्रमुख मार्गों से होती हुई विवाह स्थल कड़िया वाले मंदिर पहुंचेगी। बारात लगभग 12 बजे के आसपास आजाद चौक पहुंचेगी। तब वहां नारनौल शहर के लोगों द्वारा भगवान का दुग्ध अभिषेक किया जाएगा। चामुंडा जी मंदिर से 251 तांबे के कलश उठाए महिलाएं बारात की अगवानी करते हुए बारात के साथ विवाह स्थल पर आयेंगीं। महोत्सव में पलसाना से पधारे साकेत वासी राघव चार्य के शिष्य वेदाचार्य व्याकरणाचार्य संस्कृत के प्रकांड विद्वान वासुदेव शर्मा अपने अन्य आचार्यों के साथ वैवाहिक कार्यक्रम करवाएंगे।

केंद्रीय संस्कृत यूनिवर्सिटी जयपुर से आचार्य विष्णु कुमार निर्मल, आचार्य रामेश्वर दयाल, आचार्य सुभाष मिश्रा, आचार्य आनंद पाठक व अन्य आचार्यों इस ऐतिहासिक महोत्सव के साक्षी बनेंगे। उन्होंने बताया कि 2 नवंबर शनिवार को सुबह 9 बजे तुलसी देवी का लग्न लिखा जाएगा। तेल बान वैदिक रीति से 8 नवंबर को से होंगे और 13 नवंबर को प्रातः सूर्योदय के समय विदाई होगी। कोलकाता के फूलों से मंडप और मंदिर सजेगा।

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