झज्जर, 30 मई (हप्र)
‘मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल की ओर, लोग आते ही गए और कारवां बनता गया।’ यह पंक्तियां सटीक बैठती हैं त्रिवेणी बाबा पर, जिन्होंने करीब 26 साल पहले भिवानी जिले के तोशाम से बड़,पीपल और नीम का पौधा लगाकर त्रिवेणी के नाम से एक मुहिम शुरू की थी, जो कि आज पर्यावरण को बचाने के लिए जुनून बन गई है। सालों साल पहले जिस जमीन पर उन्होंने पर्यावरण को बचाने के लिए आस्था का बीज बोया, वह अब एक तरह से वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है।
मौजूदा समय में हालात यह है कि जो मुहिम पर्यावरण को बचाने के लिए सत्यवान के नाम से शुरू हुई थी, उसने अब त्रिवेणी बाबा के नाम से पूरे हरियाणा में अपनी पहचान बनाई है। हरियाणा का कोई भी जिला ऐसा नहीं बचा है, जहां पर त्रिवेणी बाबा द्वारा लगाई गई त्रिवेणी नहीं लहलहा रही हो। त्रिवेणी बाबा के इस अभियान की खास बात यह भी है कि उन्होंने इस त्रिवेणी को लगाने के लिए सार्वजनिक स्थानों का चयन किया, जहां पर रोज सैकड़ों लोगों का आवागमन रहता हो। इसके लिए उन्होंने स्कूल, कॉलेज, श्मशानघाट, पुलिस लाइन, लघु सचिवालय, बस स्टैंड, खेल ग्राउंड का चयन किया।
त्रिवेणी बाबा के नाम से मशहूर सत्यवान का कहना है कि उन्हें इस बात की खुशी है कि पर्यावरण को बचाने के लिए जो मुहिम उन्होंने शुरू की थी, वह सार्थक रूप लेकर वातावरण को शुद्ध करने में अपनी अहम भूमिका निभा रही है।