सफीदों, 5 अप्रैल (निस)
सफीदों उपमंडल की दोनों मंडियों, सफीदों व पिल्लूखेड़ा में गेहूं की आवक शुरू हो गई है लेकिन खरीद प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हो पाई है। इसका एक कारण यह है कि अभी तक कंबाइन से कटी गेहूं, जिसमें निर्धारित से ज्यादा नमी है, मंडी में लाई जा रही है और दूसरा यह कि अभी एजेंसियां खरीद को तैयार नहीं हैं। अनाज मंडी से केंद्रीय पूल के लिए खरीदे जाने वाले गेहूं के उठान के लिए अभी किसी ट्रांसपोर्टर को अनुबंधित नहीं किया जा सका है। इसका भी कारण पिछले वर्ष हरियाणा सरकार द्वारा ब्लैकलिस्ट की गई एक ठेकेदार एजेंसी के हाई कोर्ट में कथित रूप से लंबित विवाद को बताया गया है। उस एजेंसी के ठेकेदार राज सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष पानीपत के डीसी ने उनकी एजेंसी को ब्लैकलिस्ट कर दिया था जिसको उन्होंने हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने बताया कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया जहां से फिर हाइकोर्ट भेज दिया गया। राज सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट ने बीती 29 व 30 मार्च को बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक निशांत राठी ने फोन पर विवाद की विस्तृत जानकारी न देकर विलम्ब की वजह यही बताई और कहा कि आज के निर्धारित कार्यक्रम में भी ऐसे ही कारणों से काम के टेंडर नहीं हो सके। उन्होंने बताया कि अब मुख्यालय से ट्रांसपोर्टर अनुबंधित करने की अनुमति मांगी गई है जिसके प्राप्त होते ही गेहूं के उठान के लिए ट्रांसपोर्टर नियुक्त किया जाएगा।
बता दें कि यहां हैफेड, हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन व खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की एजेंसियों ने खरीद करनी है और ये तीनों ही अभी तक उठान के लिए ट्रांसपोर्टर नियुक्त नहीं कर पाई हैं।
विवाद का कारण यह भी
ब्लैकलिस्ट एजेंसी के मालिक राज सिंह का कहना है कि विवाद का कारण केवल नाजायज राजनीतिक प्रभाव है। उन्होंने आरोप लगाया कि किन्हीं लोगों के साथ मिलकर गैरकानूनी ढंग से सरकारी बजट हड़पने की मंशा से उनकी एजेंसी ब्लैकलिस्ट की गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में स्टे जारी कर विवाद को रिमांड कर हाइकोर्ट भेज दिया जिसमें अभी फैसला नहीं सुनाया गया है। ऐसे में भी पानीपत में मिलीभगत कर पिछले रेटों के मुकाबले आठ से दस गुना रेटों पर सिंगल टेंडर के ठेकेदार को काम दे दिया गया है । गोहाना में दो भाइयों को काम दिया गया है।