घरौंडा, 22 अप्रैल (निस)
अनाज मंडी में चल रही गेहूं की ट्रेडिंग से सरकार को करोड़ों रुपयों का चूना लगाया जा रहा है। किसानों की फसल के लिए निर्धारित किए गए न्यूनतम समर्थन मूल्य का फायदा आढ़ती उठा रहे हैं। व्यापारियों द्वारा यूपी से मंगवाई गयी सस्ती गेहूं को आढ़ती एमएसपी पर बेचने में लगे हैं। मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारी व कर्मचारी मंडी गेट पर चैकिंग का दावा करते हैं। बावजूद इसके रोजाना हजारों क्विंटल गेहूं की ट्रेडिंग हो रही हैं। गेहूं ट्रेडिंग का ये सिलसिला प्रतिदिन देर रात से शुरू होकर अलसुबह तक जारी रहता है।
बुधवार की देर रात मंडी में आधा दर्जन से अधिक ट्रालियां व कैंटर में भरा हुआ ट्रेडर्स का गेहूं मंडी पहुंचा। बिना गेट पास के मंडी में दाखिल हुई गाड़ियों को मजदूर आनन-फानन में खाली करने मे जुट गए। सूचना मिलने पर मार्किट कमेटी के कर्मचारी मौके पर पहुंचे, लेकिन वे न तो गेहूं लाने वाले व्यक्ति को खोज पाए और न ही उन्हें गेहूं मंगवाने वाले आढ़ती के बारे में जानकारी मिली। कर्मचारी कैंटर चालक से सवाल पूछते रहे, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। सस्ते गेहूं की ट्रेडिंग का यह खेल लागतार जारी है। बावजूद इसके अधिकारी ट्रेडर्स के खिलाफ सिर्फ कार्रवाई किये जाने के दावे करने में लगे हैं।
दरअसल, अनाज मंडियों में जारी यूपी के गेहूं की ट्रेडिंग ने मंडी व्यवस्था को पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। मंडियों में उत्पन्न हुई बारदाने की शोर्टेज दरअसल बड़ी मात्रा में हो रही गेहूं की ट्रेडिंग का ही इफेक्ट है। घरौंडा मंडी में यूपी के गेहूं की पहुंच का भाव 1880 से 1920 रुपये प्रति क्विंटल है। ट्रैक्टर-ट्राली में करीब 150 क्विंटल गेहूं आता है, जिसका रेट 1910-1920 रुपये क्विंटल है, जबकि 300 क्विंटल गेहूं लेकर आए ट्रक का भाव करीब 1880 रुपये प्रति क्विंटल है। इस बार सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपए निर्धारित किया है। ऐसे में व्यापारी को भाव में 55 से 85 रुपये और कमीशन में पचास रुपये की कमाई होती है। यूपी से गेहूं लेकर आए वाहनों को पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसानों के नाम पर मंडी में एंट्री दी जाती है।