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फील्ड की खाकी का ‘ट्रैकडाउन’, अब अंदर की खाकी दबाव में!

प्रदेश की ओवरफ्लो जेलों में बढ़ी सुरक्षा और प्रबंधन की सबसे बड़ी चुनौती

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हरियाणा पुलिस पिछले दो हफ्ते से सड़कों और गांवों में जिस तेजी से अपराधियों की धरपकड़ कर रही है, उससे प्रदेश की फील्ड खाकी की मेहनत साफ दिखाई दे रही है। ‘ऑपरेशन ट्रैकडाउन’ ने वह कर दिखाया है, जिसकी मांग लंबे समय से थी। अभियान के तहत अभी तक पुलिस 4 हजार 71 अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है। इनमें 874 कुख्यात बदमाश शामिल हैं। जिलों में गिरफ्तारियों की रफ्तार को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ कहा जा रहा है।

फील्ड की इस सफलता ने अब एक नया दबाव पैदा कर दिया है। यह दबाव है जेलों के अंदर की खाकी, यानी जेल स्टाफ के लिए। फील्ड में पुलिस की जितनी बड़ी सफलता है, उतनी ही चुनौतियां अब जेल प्रबंधन की बढ़ गई हैं। ये चुनौतियां हैं, पहले से ओवरलोड जेलों में 4 हजार के करीब नये कैदियों-बंदियों को रखना। हरियाणा के चरखी दादरी, फतेहाबाद और पंचकूला में जिला जेल अभी नहीं है। इन जिलों से जुड़े कैदियों-बंदियों को साथ लगते जिलों की जेलों में ही रखा जाता है। प्रदेश की मौजूदा जेलों में कुल 22 हजार 837 कैदियों-बंदियों को रखने की क्षमता है। पहली जुलाई तक जेलों में क्षमता से अधिक 27 हजार 230 कैदी-बंदी थे। यानी 4 हजार 353 कैदी-बंदी क्षमता से अधिक हैं।

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अब चार हजार के लगभग नये कैदियों-बंदियों के अंदर जाने की वजह से इन जेलों का संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया है। फील्ड में खाकी अपराधियों को खींचकर ला रही है, और अंदर की खाकी उन्हें संभालने की जद्दोजहद में है। जेल प्रशासन के एक अधिकारी का कहना है कि बाहर की कार्रवाई जितनी तेज हो रही है, अंदर की चुनौती भी उतनी ही बढ़ रही है। जगह कम है, कैदी ज्यादा हैं, और कई कुख्यात हैं। यानी, अब पुलिस की जीत ने जेलों को ‘हाई प्रेसर जोन’ में ला दिया है।

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फील्ड की सफलता अब जेलों में परीक्षा बनकर खड़ी है। हरियाणा पुलिस ने जिस सटीकता से क्राइम पर नकेल कसी है, उसी सटीकता से अब जेल सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है। क्योंकि अपराधियों को पकड़ना पहला हिस्सा था, उन्हें सुरक्षित और नियंत्रित रखना दूसरा, और कहीं ज्यादा अहम हिस्सा है। अगर अंदर की खाकी इस दबाव को झेल पाई तो ट्रैकडाउन सच में हरियाणा की कानून व्यवस्था को नई दिशा देगा। लेकिन अगर नहीं, तो यही भीड़ जेलों के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर सकती है।

इसलिए बढ़ रहा दबाव

इस बार सलाखों के पीछे जो आए हैं, उनमें सिर्फ कैदी-बंदी नहीं, बल्कि हाई-रिस्क प्रोफाइल वाले अपराधी भी शामिल हैं। ऑपरेशन ट्रैकडाउन में जो लोग पकड़े गए हैं, उनमें बड़ी संख्या उन बदमाशों की है, जिनके खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं। जो गैंग चलाते हैं, जो जेल के अंदर से भी नेटवर्क ऑपरेट करने का इतिहास रखते हैं और जिनकी निगरानी के लिए अलग सेल चाहिए। झज्जर, गुरुग्राम, जींद, करनाल और कुरुक्षेत्र में पकड़े गए अपराधियों में अधिकांश कुख्यात गैंग के सदस्य हैं। यानी यह भीड़ सिर्फ संख्या की भीड़ नहीं है, यह हाई रिस्क भीड़ है। और यही वजह है कि अब जेलों की सुरक्षा को लेकर चिंता और गहरी हो गई है।

बिना तैयारियों के करवा दिया उद्घाटन

ऑपरेशन ट्रैकडाउन की बढ़ी गिरफ्तारियों के बीच, रेवाड़ी की 1000 कैदियों की क्षमता वाली आधुनिक जिला जेल बंद पड़ी है। लगभग पांच माह पूर्व 15 जून को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के हाथों विभाग ने इस नई जेल का उद्घाटन भी करवाया था, लेकिन अभी तक इसमें कैदी-बंदी शिफ्ट नहीं हुए। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब रेवाड़ी की नई जेल ऑपरेशनल होने की स्थिति में थी ही नहीं तो इसका उद्घाटन करवाने की जल्दबाजी क्यों की गई।

उम्मीदें हैं, लेकिन फिलहाल तस्वीर नहीं बदली

रोहतक में जेल विभाग द्वारा 312 की क्षमता वाली हाई सिक्योरिटी जेल बनाई जा रही है। इस जेल में प्रदेशभर के नामचीन गैंगस्टर, बदमाश और आतंकवादियों को रखने की योजना है। दिसंबर के आखिर तक इसके ऑपरेशनल होने का दावा किया जा रहा है। पंचकूला में जेल के लिए जमीन खरीदी जा चुकी है, लेकिन काम शुरू नहीं हुई है। वहीं फतेहाबाद व चरखी दादरी जिला जेल की जमीन को फाइनल करने के बाद इसके डिजाइन को मंजूर किया जा चुका है। इन तीनों जेल के निर्माण में अभी वक्त लगेगा।

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