चंडीगढ़, 7 अप्रैल (ट्रिन्यू)
पड़ोसी राज्य पंजाब में प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसने के बाद हरियाणा सरकार ने भी ऐसा ही फैसला लिया है। प्राइवेट स्कूलो बिना फार्म-6 भरे फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे। साथ ही, विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों पर दुकान विशेष से स्कूल यूनिफार्म और कॉपी-किताब खरीदने का दबाव नहीं बना सकेंगे। शैक्षणिक सत्र शुरू होने के बाद बृहस्पतिवार को स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से इस बाबत निर्देश जारी किए हैं।
अहम बात यह है कि बड़ी संख्या में प्राइवेट स्कूल पहले ही फीस में बढ़ोतरी कर चुके हैं। वहीं अभिभावकों द्वारा उन्हीं दुकानों से स्कूल यूनिफार्म और कॉपी-किताबें भी खरीदी जा चुकी हैं। एक और रोचक पहलू यह है कि अधिकांश जिलों में कॉपी-किताबों और यूनिफार्म के लिए पहले से ही दुकानें तय हैं। इन दुकानों से इत्तर अन्य कहीं यूनिफार्म भी कम ही मिलती है। बड़े कान्वेंट स्कूलों के मामले में तो कम से कम ऐसी ही ग्राउंड रियलटी है।
स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी मंडल आयुक्तों, डीसी, जिला शिक्षा व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों तथा जिला परियोजना अधिकारियों को इस बाबत निर्देश जारी किए हैं। इन अधिकारियों को कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि बिना फार्म-6 भरे फीस बढ़ाने वाले स्कूल संचालकों पर कार्रवाई की जाए। फार्म-6 भरने वाले स्कूल ही फीस में बढ़ोतरी कर सकेंगे। इस संदर्भ में सरकार द्वारा 8 दिसंबर, 2021 को नोटिफिकेशन भी जारी किया था।
नोटिफिकेशन की कॉपी भी जिलों में भेजी गई है। नया फार्म-6 भरने की अंतिम तिथि पहली फरवरी, 2022 थी। इसे बढ़ाकर 15 फरवरी, फिर 15 मार्च और आखिर में 31 मार्च किया गया। इसी तरह से जिलों के अधिकारियों को कहा है कि वे सुनिश्चत करें कि कोई भी प्राइवेट स्कूल विद्यार्थियों को किसी दुकान से वर्दी, पुस्तकें, कार्य पुस्तिकाएं, लेखन सामग्री, जूते आदि स्कूल द्वारा रिकमेंडिड दुकान से खरीदने के लिए बाध्य न करे।