दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 29 जून
लोकसभा व विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की टिकट की बाट जोह रहे नेताओं को कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा। उन्हें पार्टी द्वारा तय शर्तों को पूरा करना होगा। केवल सिफारिश पर इस बार टिकट नहीं मिल पाएगा। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा में प्रचंड बहुमत के साथ पार्टी नेतृत्व का मनोबल बढ़ा हुआ है। ऐसे में अब टिकट आवंटन में भी पार्टी नेतृत्व काफी सख्ती करने के मूड में है। बताया गया है कि उन्हीं को पार्टी टिकट मिलेगा, जिनकी इमेज अच्छी है और जो चुनाव जीतने में समक्ष हैं।
पार्टी के हरियाणा मामलों के प्रभारी दीपक बाबरिया ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी व्यक्ति विशेष के कहने पर टिकट नहीं मिलेगी। आमतौर पर हरियाणा में यही होता रहा है कि वरिष्ठ नेता अपने-अपने समर्थकों की टिकट के लिए भाग-दौड़ में रहते हैं। उनकी कोशिश रहती है कि अपने अधिक से अधिक समर्थकों को टिकट दिलवाई जाए। 2019 के विधानसभा चुनावों में भी कोटा सिस्टम के तहत ही टिकटों का आवंटन हुआ था।
मसलन, हुड्डा के प्रभाव वाले एरिया में उनकी चली। इसके अलावा भी प्रदेश के दूसरे उन इलाकों में उनकी पसंद से टिकट दिए गए, जहां हुड्डा का प्रभाव था और नेता भी मजबूत थे। इसी तरह से पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा, राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और पूर्व मंत्री व विधायक किरण चौधरी के समर्थकों को भी उनके कोटे के तहत टिकट मिली। माना जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व अब इस कोटा सिस्टम को खत्म करने की तैयारी में है।
गुटबाजी बढ़ने के पीछे यह सिफारिशी सिस्टम भी बड़ा कारण है। टिकटों के अधिकांश दावेदार अपने-अपने ‘आकाओं’ की परिक्रमा पर अधिक फोकस रखते हैं। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि वरिष्ठ नेताओं की पसंद-नापसंद की अनदेखी की जाएगी, लेकिन पार्टी की कोशिश रहेगी कि जीतने वाले और युवा उम्मीदवारों पर अधिक से अधिक दांव लगाया जाए। पार्टी नेतृत्व इस बारे में भी मंथन कर रहा है कि पचास प्रतिशत टिकटें यानी नब्बे में से करीब 45 टिकटें 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों को दी जाएं।
आधिकारिक तौर पर भले ही इस पर सहमति नहीं बनी है, लेकिन व्यवस्था में बदलाव की शुरुआत के बीच नेतृत्व इस फार्मूले पर भी विचार कर रहा है। 24 व 25 जून को चंडीगढ़ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में नेताओं की सामूहिक मीटिंग व वन-टू-वन संवाद के दौरान भी बाबरिया स्पष्ट कर चुके हैं कि टिकटों का फैसला पार्टी नेतृत्व करेगा। इतना ही नहीं, जिताऊ चेहरों की तलाश के लिए पार्टी द्वारा लोकसभा के लिए सभी 10 हलकों और विधानसभा के लिए 90 हलकों में सर्वे भी करवाया जाएगा।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा भी अपनी तरफ से इसी तरह का सर्वे करवाए जाने का खुलासा पहले ही किया जा चुका है। अब नेतृत्व का अपना खुद का सर्वे होगा। सर्वे में पास-फेल होने के हिसाब से ही टिकट मिलेगा। पचास प्रतिशत टिकटों पर युवाओं को तवज्जो देने का अगर निर्णय होता है तो कई वरिष्ठ नेता इसकी जद में आ सकते हैं। वहीं लम्बे समय से पार्टी के लिए संघर्ष कर रहे कई युवा नेताओं की ‘लॉटरी’ भी लग सकती है। 2009 के विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस यूथ कोटे से टिकट देने का फार्मूला आजमा चुकी है।
संगठन के गठन की बंधी उम्मीद
पिछले नौ वर्षों से लटका संगठन का गठन भी अब जल्द होने के आसार बने हैं। प्रदेश प्रभारी जितने आत्मविश्वास से दावा कर रहे हैं, उसके हिसाब से जल्द ही प्रदेश कार्यकारिणी तथा जिला व ब्लाॅक प्रधानों का निर्णय हो सकता है। हालांकि इससे पहले वे नई दिल्ली में सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ निर्णायक बैठक करेंगे। यह बैठक भी इसलिए होगी ताकि सर्व सहमति से संगठन का गठन किया जा सके।
” लोकसभा व विधानसभा चुनावों में टिकटों का आवंटन योग्यता के आधार पर होगा। किसी व्यक्ति विशेष के कहने से टिकटें नहीं दी जाएंगी। टिकट आवंटन से पहले सर्वे भी करवाया जाएगा ताकि मजबूत और जिताऊ चेहरों को मैदान में उतारा जा सके। संगठन गठन की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही संगठन का गठन कर दिया जाएगा। ”
-दीपक बाबरिया, जैसा एक टीवी इंटरव्यू में बताया