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हरियाणा में तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के गढ़ बिन ‘पावर’

पहले रोहतक में 10 साल तक रही चौधर, करनाल भी रहा सत्ता का केंद्र

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दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 20 अक्तूबर

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हरियाणा के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के गढ़- सिरसा, रोहतक और करनाल इस बार बिना ‘पावर’ के हैं। राज्य की नायब सरकार में इन जिलों की साझेदारी नहीं हो पाई है। हालांकि अभी सरकार का गठन हुए चंद ही दिन हुए हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में पूर्व मुख्यमंत्रियों के इलाकों को भी महत्व मिलने की संभावना बनी रहेगी। फिलहाल करनाल, रोहतक और सिरसा जिले की सरकार में किसी तरह का दखल नहीं है।

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करीब दस वर्षों तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा की वजह से रोहतक में ‘चौधर’ बनी रही। वहीं 2014 से 2024 तक यानी करीब दस वर्षों तक सत्ता का केंद्र करनाल बना रहा। करनाल हलके से लगातार दो बार चुनाव जीतकर मनोहर लाल करीब साढ़े नौ वर्षों तक मुख्यमंत्री रहे। वहीं सिरसा को पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला का गढ़ कहा जाता है।

मार्च 2005 में 67 विधायकों के साथ प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया था। यह पहला मौका था जब रोहतक के लोगों ने ‘चौधर’ देखी। नतीजतन, 2009 के विधानसभा चुनाव में भी इस इलाके के लोगों ने कांग्रेस का खुलकर साथ दिया और हुड्डा लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। लेकिन, साल 2014 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महज 15 सीटों पर सिमट गई। वहीं भाजपा पहली बार 47 विधायकों के साथ पूर्ण बहुमत से सरकार में आई। उस समय सत्ता का केंद्र करनाल बना। यहां से पहली बार विधायक बने मनोहर लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि रोहतक की सत्ता में भागीदारी बनी रही। उस वक्त रोहतक के विधायक मनीष ग्रोवर सहकारिता मंत्री बने, वहीं झज्जर के बादली से विधायक ओमप्रकाश धनखड़ हेवीवेट मंत्री रहे। साल 2019 में रोहतक सत्ता से दूर रहा, क्योंकि भाजपा हलके की एक भी सीट पर चुनाव नहीं जीत पाई। इस बार भी रोहतक की चारों सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है।

उधर, करनाल जिले की पांचों सीटों– करनाल, असंध, घरौंडा, इंद्री व नीलोखेड़ी में भाजपा ने इस बार जीत हासिल की है, लेकिन मंत्रिमंडल में एक भी विधायक का नंबर नहीं लगा। यही स्थिति सिरसा जिले की है, जहां भाजपा अपना खाता भी नहीं खोल पाई। साल 2019 के चुनाव में रानियां से निर्दलीय विधायक बने चौ. रणजीत सिंह को मनोहर सरकार ने बिजली व जेल मंत्री बनाया था।

भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम रहे दुष्यंत चौटाला के भी सिरसा से होने की वजह से इलाके के लोगों ने सरकार में भागीदारी बनाकर रखी।

मनीष ग्रोवर की हो सकती है एडजस्टमेंट

भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रोहतक में मामूली अंतर से चुनाव हारने वाले पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर की सरकार में एडजस्टमेंट हो सकती है। नायब सरकार हुड्डा के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए ग्रोवर को पावरफुल बना सकती है। इसी तरह सिरसा के भी किसी नेता को सरकार में बड़ा पद मिलने की उम्मीद है।

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