गुंजन कैहरबा/निस
इन्द्री, 19 अप्रैल
तेज आंधी, तूफान के साथ बरसात और ओलावृष्टि से अनाज मंडी में खुले में पड़ी गेहूं की बोरियों पर ओले बिछ गये और किसान की फसल भीग गयी। खेतों में खड़ी गेहूं की फसल की बालें झड़ कर गिर गये। गेहूं के साथ-साथ मक्की, टमाटर, शिमला मिर्च व सब्जियों की फसल को भी नुकसान हुआ है। अनेक स्थानों पर लोगों द्वारा खेतों, घरों व स्कूलों में लगे आम, आलू बुखारा व बब्बूगोशा सहित अनेक फलदार पेड़ों का बौर व नन्हें फल झड़ गए हैं। बताया गया है कि शुक्रवार दोपहर बाद 4:25 बजे अचानक मौसम खराब हो गया और तेज आंधी व तूफान शुरू हो गये। साथ ही बरसात और ओलावृष्टि भी शुरू हो गई। कुछ ही मिनट में धरती पर ओलों की सफेद चादर बिछ गई। तूफान इतना अधिक तेज था कि अनेक स्थानों पर टीन व फाइबर की छतें उड़ गई। गांव खेड़ा के खेत में किसान सुरेश कुमार की टीन की छत उड़ कईं काफी दूर चली गई। आंधी, तूफान व ओलावृष्टि से किसानों के सपनों और अरमानों पर पानी फिर गया। खेतों में हजारों एकड़ भूमि पर अभी भी गेहूं की फसल पकी हुई थी। जिसे काटने के लिए किसान योजना बना रहे थे। कुछ किसानों ने फसल काट कर खेत में पूली बांध कर रख रखा था। अब उसे काफी नुकसान हो गया है। मक्का और लहसुन की फसल को भी नुकसान बताया जा रहा है। बहुत से किसान सरकार के फसल विविधिकरण को लागू करने के लिए सब्जियों की फसल उगाते हैं। बेमौसमी बरसात व ओलावृष्टि उन किसानों के लिए आफत बन जाती है। खेतों में खड़ी टमाटर, शिमला मिर्च, धनिया आदि कईं फसलों को पूरी तरह नुकसान हो गया है। गढ़ीबीरबल, तुसंग, चौगावां, हंसूमाजरा, राजेपुर, खेड़ा, नन्हेड़ा सहित अनेक स्थानों से किसानों को नुकसान हुआ है।
किसान के प्रति व्यवस्था संवेदनहीन: राकेश कांबोज
पूर्व विधायक राकेश कांबोज व कांग्रेस नेता रामफल कमालपुर ने कहा कि फसलों पर कुदरत का कहर बरसा है। किसान देश व दुनिया का अन्नदाता है लेकिन उसकी स्थितियों के प्रति हमारी व्यवस्था द्वारा संवेदनशीलता नहीं दिखाई जाती है। भाकियू नेता राहुल कलसौरा ने कहा कि खेती पर बड़ी प्राकृतिक आपदा आई है। सरकार व प्रशासन को जल्द कार्रवाई करनी चाहिए और किसानों के नुकसान का आकलन करके नुकसान की भरपाई की जानी चाहिए।
समालखा में 50 हजार क्विंटल अनाज भीगा
समालखा (निस) : नई अनाज मंडी में शुक्रवार 10 मिनट की बारिश ओर ओलावृष्टि से मार्किट कमेटी के दावों की पोल खुल गई और मंडी में खुले में पड़ा हजारों किवंटल गेहूं भीग गया। मंडी में खुले में रखा 50 हजार क्विंटल गेहूं और करीब एक लाख क्विंटल गेहूं से भरी बोरियां भी भीग गयीं। आढ़तियों ने आनन फानन में खुले पड़े गेहूं पर तिरपाल डाले। मंडी में हजारों क्विंटल गेहूं ऐसा था, जो अभी तक बिका नहीं था। निचले स्थानों पर पानी भरने से ये गेहूं भीग गया। खेतों में रखा गेहूं भी भीग गया। पानी निकासी को लेकर मंडी सुपरवाइजर संदीप ने तुरंत उच्च अधिकारियों को अवगत करा वाटर टैंक मंगवाया और पानी निकासी सुचारु कराई। मार्किट कमेटी सचिव सविता जैन ने कहा बारिश के चलते समालखा मंडी में कोई नुकसान नहीं हुआ है। मात्र 2-3 मिनट ही बारिश हुई है। एक दिन की धूप लगते ही ठीक हो जाएगा। दूसरी ओर मंडी आढती एसोसिएशन के प्रधान बलजीत सिंह रूहल ने कहा कि नुकसान तो आढ़ती को पता लगेगा। मंडी में पानी भर गया है। खुले में पड़ा गेहूं भीग गया। भीगे गेहूं को सूखने के लिए मजदूरी भी देनी पड़ेगी। बारिश के कारण आढ़तियों को अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ेगा।
पूंडरी में भी हुआ नुकसान
कैथल (हप्र) : पूंडरी में शुक्रवार शाम अचानक मौसम खराब हो गया और बारिश के साथ जमकर ओले पड़े। जिसके कारण मंडी में गेहूं की फसल भीग गई। समय रहते तिरपाल ढकने और बारिश रुकने से खेतों और मंडी में गेहूं की फसल को अधिक नुकसान नहीं हुआ। गेहूं को कवर करने के लिए किसानों को बारदाना तक नहीं मिला। जानकारी के अनुसार, पूंडरी की मंडी में अधिकतर गेहूं शैड के बाहर पड़ा था। गेहूं की नमी कम करने के लिए उसे धूप में खाना पड़ रहा है। पूंडरी और ढांड की अनाज मंडी में किसानों को बारदाना नहीं दिया जा रहा है। मंडी के किसानों को गेहूं अदाणी के गोदामों में सोलुमाजरा डालकर आना पड़ता है। ऐसे में खुले में पड़ा गेहूं ज्यादा भीग जाता तो किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता था। किसानों को आनन फानन में अपनी गेहूं की ढेरियां को तिरपाल से ढकना पड़ा। मंडी में ढेरियों में पानी जमा हो गया। किसानों ने भी जल्द बारिश रुकने पर राहत की सांस ली।