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हजारों श्रद्धालुओं सहित कई राज्यों के मंत्रियों सांसदों और विधायकाें ने किए मठ में दर्शन

बाबा मस्तनाथ मेले का दूसरा दिन, धूनी रमाए बैठे बाबा रहे आकर्षण का केंद्र, आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्सुक दिखे हजारों श्रद्धालु
रोहतक में बाबा मस्तनाथ मठ में विशिष्ट मेहमानों से भेंट करते महंत बालक नाथ योगी। -हप्र
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रोहतक, 7 मार्च (हप्र)

आठवीं शताब्दी से अध्यात्म, शिक्षा, चिकित्सा और संस्कृति के अनोखे संगम का केंद्र रहे बाबा मस्तनाथ मठ अस्थल बोहर में चल रहे वार्षिक मेले के दूसरे दिन श्रद्धालुओं का अपार जनसैलाब उमड़ा। अष्टमी के अवसर पर सुबह 4 बजे से ही बाबा मस्तनाथ की समाधि पर श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग गई थीं। श्रद्धालु बाबा मस्तनाथ के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्सुक दिखे।

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पूरे दिन भक्ति गीतों और हरियाणवी रागनियों का भी दौर चलता रहा, जिससे मठ परिसर भक्तिमय वातावरण में डूबा रहा। मेले में पारंपरिक वस्त्र, धार्मिक वस्तुएं, खिलौने, प्रसाद, आभूषण और सजावटी सामान की दुकानों पर लोग जमकर खरीदारी करते नजर आए। मेले के दूसरे दिन राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा व अन्य राज्यों से मंत्री, विधायक, सांसद नेता और अन्य विशिष्ट भी मठ पहुंचे और बाबा मस्तनाथ की समाधि पर नमन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। नाथ संप्रदाय की परंपरा के अनुसार मठ के महंत बालकनाथ जी योगी ने बाबा मस्तनाथ के स्वरूप में भक्तों को दर्शन देकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद दिया।

उनके दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहा। मान्यता है कि अष्टमी और नवमी के दिन मठ में गुड़ और कंबल चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं बाबा मस्तनाथ पूरी करते हैं। श्रद्धालुओं ने मठ परिसर में देसी घी की ज्योत जलाकर अपने परिवार की समृद्धि की कामना की। मंदिर में पूजा अर्चना से पूर्व साधु संतों ने धुनें पर भस्म रमाई। यह धुनें के चारों और नाचते गाते हुए संतों ने खुद को भस्म में लपेटा और बाबा के जयकारे लगाते हुए मंदिर में पूजा करने पहुंचे। वहीं मठ परिसर में महिला व पुरुष पुलिस के जवान दिनभर व्यवस्था में लगे रहे।

आठवीं शताब्दी में चौरंगीनाथ महाराज ने की थी मठ की स्थापना

बाबा मस्तनाथ मठ अस्थल बोहर की स्थापना परम सिद्ध शिरोमणि चौरंगीनाथ महाराज ने आठवीं शताब्दी में की थी। उस समय इस मठ का इतना वैभव था कि यहां से धर्म, संस्कृति, सभ्यता एवं समाज के अनेक विकास कार्यों हेतु 84 सिद्धों की पालकियां एक साथ निकलती थीं। इस मठ का 18वीं शताब्दी में पुनः जीर्णोद्धार बाबा मस्तनाथ ने करवाया। बाबा मस्तनाथ ने योग-सिद्धि, तपस्या तथा चमत्कारों से समस्त जनमानस को प्रभावित कर इसकी समृद्धि और श्रीवृद्धि को चरम सीमा तक पहुंचाया।

नाथ संप्रदाय के इस ऐतिहासिक और धार्मिक मठ में हर साल लगने वाला यह मेला श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का प्रतीक बना हुआ है। इस मठ की खास बात यह भी है कि यहां भवन निर्माण का कार्य कभी बंद नहीं होता। बाबा मस्तनाथ मठ के भंडारे में श्रद्धालुओं को पूड़ी, मिक्स सब्जी और जलेबी का प्रसाद वितरित किया गया। हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

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